Supreme Court on Haldwani: उत्तराखंड के हल्दवानी में रेलवे की जमीन पर कब्जे मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने घरों को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हजारों लोगों को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि महज़ 7 दिनों में 60 हजार लोगों को नहीं हटाया जा सकता. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से कई बड़े सवाल पूछ हैं.


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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा कि गर वहां से अतिक्रमण हटाया जाता है तो वहां बसे लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था क्या है? इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि वहां पर लोग आज़ादी के वक्त (1947) से रह रहे हैं. ऐसे में उन्हें सीधा वहां उखाड़कर फेंक देना उचित नहीं है. उनके लिए कुछ तो करना होगा. अदालत ने कहा कि वहां पर लोग इतने बरसों से बसे हुए हैं, ऐसे में अचानक इतनी सख्त कार्रवाई कैसी की जा सकती है? 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि रेलवे के पास अतिक्रमण नहीं दिया जा सकता. लेकिन उनके अधिकारों और पुनर्वास पर गौर करना भी बहुत जरूरी है. अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि इन लोगों को किसी अन्य जगह पर रहने के लिए इंतेजाम किया जाए. नहीं तो कोई और हल निकाला जाए. 


बता दें कि हल्दवानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4365 अवैध कच्चे-पक्के मकानों को हटाने के लिए रेलवे, पुलिस व प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली थी. आरपीएफ व पीएसी की 5-5 कंपनियां तैनात हो गई हैं और चार दिन बाद पैरामिल्रिटी फोर्स की 14 कंपनियां भी पहुंचने वाले थे. 


दरअसल, अतिक्रमण हटाने की यह कवायद 2007 में हो गई थी लेकिन तब रेलवे अपनी जमीन खाली नहीं करा सका था. अब नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के चलते 16 साल बाद बदले हालात में अतिक्रमण के बढ़ चुके दायरे को आठ जनवरी के बाद ध्वस्त करने की तैयारी हो चुकी है.


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