Happy Daughters’ Day 2022: सितंबर के चौथे रविवार को डॉटर्स डे यानी बेटी दिवस मनाया जाता है. इसको मनाने का मकसद बेटी और बेटा के दरमियान का फर्म मिटाना है. इस दिन अपनी बेटियों को गिफ्ट दे सकते हैं. उनके साथ बाहर घूमने जा सकते हैं. नहीं कुछ तो कम से कम उन्हें शेर ओ शायरी के जरिए खास महसूस करा सकते हैं. हम यहां पेश कर रहे हैं बेटियों पर लिखे कुछ खास शेर.


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बेटियों को बचा के रखिए 'कँवल'
इन को पाने में वक़्त लगता है
-रमेश कँवल
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बेटियों के मान होना चाहिए अपमान है
देख कर सब कुछ भी ये हिन्दोस्ताँ ख़ामोश है
-हैदर रज़ा कोरालवी
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बेटियों का वजूद रहमत है
माँ के क़दमों के नीचे जन्नत है
-मोहम्मद अब्दुल कबीर हनफ़ी
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ख़ून अपना बेच कर आया है इक मजबूर बाप
बेटियों के हाथ पर मेहंदी लगाने के लिए
-अब्बास दाना
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चिंता में बेटियों की हर इक बाप है यहाँ
अब क्या बताऊँ मैं तो परेशान हो गया
-संतोष खिरवड़कर
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गोद से है गोर तक बेचैनियाँ
अलमिया है बेटियों की ज़िंदगी
-अहमद निसार
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अल्लाह उन की अक़्ल का पर्दा ज़रा हटा
फिर अपनी बेटियों को जलाने लगे हैं लोग
-मोहम्मद अली साहिल


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फूल ख़ुशबू उन पे उड़ती तितलियों की ख़ैर हो
सब के आँगन में चहकती बेटियों की ख़ैर हो
-अहमद सज्जाद बाबर
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बेटियों का कभी घर-बार न उजड़े 'गज़नी'
ये वो दुख है जो नहीं बाप को सोने देता
महमूद गज़नी
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ये बेटियों की दुआओं का नेक-समरा है
कटी है उम्र बदन में थकान कुछ भी नहीं
-दीदार बस्तवी
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बेटों ने मेरे नाम की दस्तार पहन ली
और बेटियों ने सूरत-ए-आँचल किया मुझे
-अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
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करूँगा इश्क़ विरासत का कुछ बताऊँगा नईं
मैं इक ग़रीब की बेटी को आज़माऊँगा नईं
-आल-ए-उमर
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अपने हमसाए की बेटी है जवाँ
बेचना पड़ जाएगा घर-बार क्या
-मोईनुद्दीन शम्सी
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