Haryana Election Result 2024: बीजेपी हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में एग्जिट पोल के अनुमान को गलत साबित करते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बनाती हुई दिख रही है.  रूझानों में भारतीय जनता पार्टी 47 लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही, जबकि कांग्रेस 38 सीटों पर आगे चल रही है.


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हरियाणा की सभी 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी, जिसमें करीब  61 फीसदी मतदाताओं ने वोट किए थे. अब कुछ ही घंटों में नतीजे साफ हो जाएगी.    रूझानों में कांग्रेस को फिर से सत्ता के लिए पांच सालों का इंतजार करना होगा. वैसे हरियाणा में 5 पर्टियां चुनाव मैदान में थी, लेकिन असल मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में ही है.


भाजपा, कांग्रेस  के अलावा ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ मायावती  की बीएसपी और सांसद चंद्रशेखर रावण आजाद की आजाद समाज पार्टी, जो JJP के साथ गबंधन  कर चुनाव लड़ रही है. 


इस चुनाव मैदान में दो दर्जन से भी ज्यादा बड़े चेहरे चुनाव मैदान में थे, लेकिन इनमें से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडा, सीएम नायब सिंह सैनी, रेसलर विनेश फोगाट, भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा, देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल समेत इन 10 चेहरों पर सबकी निगाहें थीं. तो आइए जानते हैं इन चेहरों में से जनता ने किस-किस पर भरोसा जताया है.


1. विनेश फोगाट (विधानसभा – जुलाना)
पेरिस ओलंपिक 2024 से लौटने से निराश होकर लौटने के बाद विनेश फोगाट ने सियासत में एंट्री ली और कांग्रेस की टिकट पर जुलाना विधानसभा से चुनावी लड़ी. विनेश ने 6015 वोटों से भारतीय जनता पार्टी के योगेश कुमार को शिकस्त दीं हैं. ये सीट कांग्रेस के लिए सबसे अहम सीटों में से एक थी. क्योंकि वे रेसलिंग से इस्तीफा देने से पहले रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चीफ बृजभूषण के खिलाफ विरोध कर रहे पहलवानों में शामिल थीं. उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. तब बृजभूषण कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद थे. इसलिए ये सीट कांग्रेस के लिए बहुत अहम थी.


बता दें कि जुलाना विनेश का ससुराल भी है. विनेश के खिलाफ बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे योगेश कुमार बैरागी पूर्व में पायलट रह चुके हैं. करीब दो लाख की आबादी वाले जुलाना विधानसभा सीट पर 70 फीसदी जाट समाज के वोटर्स हैं.


2. नायब सिंह सैनी (विधानसभा – लाडवा)
भारतीय जनता पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा से दिल्ली बुलाने के बाद हरियाणा की कुर्सी नायब सिंह सैनी को सौंपी. बीजेपी  ने इस बार सैनी को उनके परंपरागत सीट करनाल के बजाय कुरूक्षेत्र की लाडवा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. वहीं, उनके सामने कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मेवा सिंह को टिकट दिया था. नायब सिंह सैनी ने 16054 वोटों से मेवा सिंह को हराकर जीत का परचम लहराया. लाडवा में बड़ी तादाद में में ओबीसी वोटर्स हैं,जिसका का फायदा नायब सिंह सैनी को मिला.


नायब सिंह सैनी को कुल 70177 वोट मिले, जबकि मेवा सिंह को 54123 मतों से संतोष करना पड़ा.


3. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ( विधानसभा- गढ़ी सांपला)
हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई से 71,465 वोटों से जीत हासिल की. हुडा ने अपने निकटमतम प्रतिद्वंदी बीजेपी कैंडिडेट मंजू को हराया. इस सीट पर उनकी पकड़ पहले ,से ही मजबूत थी. हुड्डा 2 बार राज्य के सीएम रह चुके हैं, प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े चेबहरे भी थे. कांग्रेस ने ये चुनाव  हुडा के चेहरे पर ही लड़ा था.  अगर बहुमत मिलता तो सीएम पद का सबसे प्रबल दावेदार होते. भूपेंद्र हुड्डा भी जाट समुदाय से आते है और इस सीट पर जाट वोटर ही निर्णायक हैं. 


4. अनिल विज (विधानसभा – अंबाला कैंट)
अनिल विज हरियाणा बीजेपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं. वो 2 बार मंत्री भी रह चुके हैं. विज ने अंबाला कैंट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार  चित्रा सरवारा को 7277 वोटों से हराकर लगातार 7वीं बार जीत हासिल की. पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में भी विज ने चित्रा सरवारा को 20,165 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस कैंडिडेट तीसरे नंबर रहे.


विज ने जिस अंबाला कैंट सीट से उम्मीदवार हैं और चुनाव के बीच में ही सीएम पद पर दावा ठोंक दिया था  वहां पंजाबी और जट सिख के करीब 80 हजार वोट हैं. खास बात यह है कि विज भी पंजाबी समाज से आते हैं. यही कारण है कि साल 1967 यहां पर ज्यादातर पंजाबी समाज के ही विधायक बने हैं.


5. दीपक निवास हुड्डा (विधानसभा – महम)
भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक निवास हुड्डा को बीजेपी ने महम सीट से चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन कांग्रेस के बलराम डांगी से उन्हें करारी हार मिली. पहली बार चुनाव लड़ रहे दीपक सियासी अखाड़े में पूरी तरह फेल हो गए. बलराम डांगी उन्हें 18060 वोटों से पराजित किया. बलराम डांगी कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के बेटे हैं. महम में करीब 1.98 लाख वोटर्स हैं, जिसमें  जाट वोटरों की संख्यां सबस ज्यादा हैं.


बलराम डांगी को कुल 56865 वोट मिलेस, जबकि चौथे नंबर पर रहे दीपक निवास हुड्डा को सिर्फ 8929 मत ही मिले. वहीं, दूसरे नंबर पर रहे हरियाणा जनसवेक पार्टी बलराज कुंडु को 38805 वोट मिले.


6. अभय चौटाला (विधानसभा – ऐलनाबाद)
हरियाणा में सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट काफी दिलचस्प सीट है, क्योंकि इस सीट पर OBC-18 फीसदी, अनुसूचित जाति – 21 फीसदी, जट सिख – 7 फीसदी, ब्राह्मण – 3 फीसदी, पंजाबी – 3 फीसदी, वैश्य 3 फीसदी हैं. लेकिन नतीजे जाट समाज और शहरी वोटर्स ही तय करते हैं. यहां से हरियाणा के कद्दावर नेता  इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के अभय सिंह चौटाला चुनाव मैदान में थे. कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल ने चौटाला को को 15000 मतों से पराजित कर दिया है.


 भरत सिंह बेनीवाल को कुल 77865 वोट मिले, जबकि अभय सिंह चौटाला को 62865 मत मिले. वहीं तीसरे नंबर पर रहे भारती जानता पार्टी के कैंडिडेट  अमिर चंद तलवाड़ा को 13220 वोट मिले. 


6. पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (विधानसभा – उचाना)
पिछले पांच साल तक बीजेपी के साथ सरकार में रहने वाले JJP नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला उचाना सीट से चुनावी मैदान में थे. हालांकि, बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद वो इस बार चंद्रशेखर की पार्टी ASP के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे थे. नतीजा यह हुआ कि इस बार वो विधायक भी नहीं पाए. इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर हुई. आखिकार परिणाम भाजपा के पक्ष में ही रहा.देवेंद्र चतरभुज अत्री ने महज 32 वोटों से कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को हराया है


बीजेपी के देवेंद्र चतरभुज को 48968 और बृजेंद्र सिंह 48936 वोट मिले हैं. वहीं, अभय चौटाला चौथे नंबर पर है.  इस सीट पर करीब 2.17 लाख वोटर हैं. जिनमें सबसे ज्यादा 1.7 लाख जाट मतदाता हैं.


7. सावित्री जिंदल (सीट – हिसार)
देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल हिसार सीट से बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं. उन्होंने यहां से कांग्रेस के रामनिवास रारा को 18941 मतों से पराजित किया. कभी कांग्रेस की नेता रही जिंदल हरियाणा में मंत्री भी रह चुकी हैं. बता दें,सावित्री जिंदल  कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां हैं. सावित्री जिंदल ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था, लेकिन BJP से टिकट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर पर्चा भरा था. 


8. आरती राव (सीट – अटली)
महेंद्रगढ़ की अटली विधानसभा सीट कई मायनों में खास है. यहां से बीजेपी की टिकट पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव चुनाव लड़ रहीं हैं.  आरती राव शूटिंग की खिलाड़ी रही हैं और एशियन चैंपियनशिप में 4 मेडल भी जीत चुकी हैं. उन्होंने साल 2017 में शूटिंग से रिटायरमेंट ले लिया था. लेकिन जब वह सियासत में दाखिल हुईं तो उन पर बाहरी होने का टैग लगाकर लोगों ने भारी विरोध किया. आरती राव ने 2500 वोटों से बrएसपी कैंडिडेट को हरा दिया. दूसरी बात यह है कि मायावती की पार्टी ने अत्तर लाल को टिकट देकर लड़ाई को त्रिकोणीय कर दिया था. जबकि यहां से कांग्रेस ने भी महिला कैंडिडेट अनिता यादव को मैदान में उतारा था, जो तीसरे नंबर पर रही.  


09. अनिरुद्ध चौधरी (विधानसभा – तोशाम)
हरियाणा में भिवानी जिले की तोशाम विधान सभा सबसे हॉट सीटों में से एक है. यहां हरियाणा के पूर्व सीएम चौधरी बंसीलाल के परिवार आमने-सामने हैं. कांग्रेस ने बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को  मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने परिवार की बेटी श्रुति चौधरी को टिकट देकर काफी रोमांचक बना दिया था. परिणाम कांग्रेस के खिलाफ रहा.   श्रुति चौधरी ने बंसीलाल को 14257 वोटों से हरा दिया. बता दें, सीट बंसीलाल परिवार का गढ़ रही है. अभी तक यहां पर कुल 15 चुनाव हुए हैं, जिसमें 11 बार बंसीलाल परिवार का ही मेंबर विधानसभा पहुंचे हैं.


10. चिरंजीव (विधानसभा – रेवाड़ी)
हरियाणा की रेवाड़ी सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई थीं. यहां से कांग्रेस ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद और मौजूदा विधायक पर दोबारा भरोसा जताते हुए चिरंजीव राव को टिकट दिया. इस बार इस सीट पर BJP और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला पहले से माना जा रहा था. परिणाम अनुमामन के मुताबिक ही रहा. यहां से भारतीय जनता पार्टी के लक्षमण सिंह ने जीत हासिल की. उन्होंने चिरंजीव 28990 मतों से हरा दिया.


लक्षमण यादव को कुल 83033 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे चिरंजीवी राव को 54124 वोटों से संतोष करना पड़ा.