कोझिकोडः देश में विकलांग नागरिकों के जीवन को सुविधाजनक और आरामदायक बनाने के लिए सरकार समय-समय पर कई नीतियां बनाती रहती है, लेकिन इसके बावजूद ऐसे लोगों को सार्वजनिक जीवन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. सरकार का विकलांग नागरिकों की तरफ ध्यान खींचने और  सार्वजनिक स्थानों पर विकलांगों के लिए पहुंच को बढ़ाने के लिए एक विकलांग नागरिक कन्याकुमारी से लद्दाख के सियाचिन तक अपनी व्हीलचेयर यात्रा पर निकल गया है. पैदल यात्रा, साइकिल यात्रा, या फिर किसी सवारी से यात्रा करना तो आपने सुना होगा, लेकिन व्हीलचेयर से किसी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए यात्रा पर निकलना अपने आप में एक यूनिक मामला है. 

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जेएनयू से रूसी भाषा में स्नातक हैं हसन इमाम
व्हीलचेयर पर बैठे 25 वर्षीय हसन इमाम ने अपनी यात्रा को 'एक्सेसिबल वर्ल्ड कैंपेन’ का नाम दिया है. हसन इमाम जन जागरूकता के माध्यम से देश और समाज में विकलांग नागरिकों के पति एक बदलाव लाने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "देश के लोगों को पता होना चाहिए कि हमारी तरह के लोगों की आबादी इस वक्त भारत में 10 लाख है.’’
हसन इमाम मूल रूप से बिहार के निवासी है और केरल में रहते हैं. वह देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से रूसी भाषा में स्नातक हैं. हसन इमाम लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर अपनी व्हीलचेयर से कन्याकुमारी से कोझिकोड पहुंचे हैं. 

हमारे लिए सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है 
हसन इमाम ने दुनिया के लोगों से यह भी आग्रह किया कि जहां सीढ़ियां हों वहां व्हीलचेयर रैंप भी बनाया जाए. उन्होंने कहा, "किसी विकलांग शख्स को उसकी हालात जो उसने खुद नहीं बनाई है कि आधार पर उसे घर पर बिठाना बहुत बुरा है. ये उन लोगों के साथ नाइंसाफी होगी.’’ उन्होंने कहा, “कई मॉल, थिएटर, सार्वजनिक स्थान, सरकारी कार्यालय वगैरह अभी भी विकलांगों के अनुकूल नहीं हैं. केरल हो या देश का कोई अन्य राज्य, सार्वजनिक परिवहन हम जैसे लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है.“ हसन ने कहा कि सिर्फ चेन्नई का मरीना बीच एक ऐसी जगह है, जहां उन्होंने रैंप देखा था. हसन का कहना है कि भारत में किसी भी समुद्र तट पर रैंप नहीं है. हमारी जरूरतों को पूरा करके एक 'न्यू इंडिया’ बनाया जा सकता है.“ 


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