Hathras Stampede: हाथरस में कैसे हुई 121 लोगों की मौत? चश्मदीदों ने बताई आंखों देखी
Hathras Stampede: हाथरस जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर फुलराई गांव में सत्संग हो रहा था. जिसमें अचानक भगदड़ मच गई. जिससे 121 लोगों की मौत हो गई है. चश्मदीदों ने आंखों देखी बताई है. कैसे 131 लोगों की मौत हुई है.
Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 2 जुलाई को एक 'सत्संग' में भगदड़ मच गई, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई है. इस हादसे को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. एक चश्मदीद ने बताया कि भोले बाबा के भक्तों के बीच धूल इकट्ठा करने की होड़ मची, जिसके ऊपर से प्रवचनकर्ता का वाहन कार्यक्रम स्थल से निकलते समय गुज़रा था.
मिट्टी लेने के लिए दौड़े भक्त
एक और चश्मदीदों ने बताया, “2 जुलाई को डेढ़ घंटे से ज़्यादा वक्त तक सत्संग को संबोधित करने के बाद बाबा चले गए थे. भक्त ‘धूल’ लेने के लिए दौड़े, लेकिन फिसलन भरी ज़मीन की वजह से फिसल गए और एक-दूसरे पर गिर पड़े, जिससे भगदड़ मच गई.”
अधिकारियों ने क्या कहा?
शाम में अधिकारियों ने कहा कि नारायण साकार हरि के नाम से प्रसिद्ध भोले बाबा के कार्यक्रम में हज़ारों भक्तों की भीड़ जुटी थी. कार्यक्रम स्थल पर मौजूद लोगों की संख्या प्रशासन द्वारा निर्धारित सीमा से ज़्यादा थी, जिसकी वजह से भोले बाबा के “सत्संग” के दौरान भगदड़ मच गई. जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है.
कहा हो रही थी सत्संग
हाथरस जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर फुलराई गांव में सत्संग हो रहा था. जिसमें अचानक भगदड़ मच गई. जिससे 122 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं. जिसमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं शामिल हैं.
एसपी ने क्या कहा?
अधिकारियों ने बताया कि यह भगदड़ कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण हुई. इससे पहले दिन में पुलिस महानिरीक्षक (अलीगढ़ रेंज) शलभ माथुर ने कहा, "वास्तविक कारणों का पता लगाया जाना अभी बाकी है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि यह टेंट के बंद होने की वजह से हुआ और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि घुटन की वजह से वहां मौजूद लोगों को असुविधा हुई और वे इधर-उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ मच गई."
इस वजह से हुई मौत
वहीं, एक दूसरे चश्मदीद ने कहा, "भक्त कार्यक्रम स्थल से बाहर जाने के लिए तैयार थे, लेकिन भोले बाबा के काफिले के जाने पर उन्हें रोक दिया गया. जब भक्त कार्यक्रम स्थल से जाने दिया गया, तो गर्मी और उमस की वजह से भीड़ का दबाव असहज हो गया, जिससे घुटन होने लगी और भगदड़ मच गई."
नहीं था कोई रास्ता
एक महिला चश्मदीद ने कहा, "मौके पर भक्तों की भारी भीड़ थी. यह सब तब हुआ जब सत्संग खत्म हो गया और सभी लोग जल्दी में बाड़े से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे. बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था और् सभी एक-दूसरे पर गिर पड़े और भगदड़ मच गई. जब मैंने बाहर निकलने की कोशिश की, तो मैंने पाया कि मोटरसाइकिलें बाहर खड़ी थीं, जो रास्ता रोक रही थीं. कई लोग बेहोश हो गए जबकि दूसरे की मौत हो गई."