मो. गुफरान/प्रयागराज: जेएनयू (JNU) के साबिक सद्र अध्यक्ष कन्हैया कुमार की शहरियत खत्म करने की मांग करने वाली अर्ज़ी इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने खारिज कर दी है. साथ ही बेवजह अर्ज़ी दाखिल कर कोर्ट का वक्त खराब करने के लिए अर्ज़ी दाखिल करने वाले (याचिकाकर्ता) नागेश्वर मिश्र पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है. अदालत ने 30 दिन के अंदर हर्जाना जमा कराने को कहा है. 


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जस्टिस शशिकान्त गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की बैंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि वाराणसी के रहने वाले नागेश्वर मिश्र की जानिब से दाखिल अर्ज़ी मफादे आमा (जनहित) नहीं है. बगैर आइनी व शहरियत कानून का मुताला (अध्ययन) किये पब्लिसिटी के लिए ये अर्ज़ी दाखिल की गई. वह भी ऐसे वक्त में, जब कोरोना वायरस की वजह से अदालतें महदूद (सीमित) तरीके से काम कर रही हैं और मुकदमों का बोझ बहुत है. ऐसे में इस तरह की फिजूल की अर्ज़ी दाखिल करना अदालती काम का गलत इस्तेमाल और अदालत के कीमती वक्त की बर्बादी है. अदालत ने नागेश्वर मिश्र पर जुर्माना लगाते हुए हिदायात दी हैं कि अर्ज़ी दाखिल करने वाले की जानिब से हर्जाना ना जमा करने पर वाराणसी डीएम इसे रेवन्यू की तरह वसूलें.


दरअसल, अर्ज़ी दाखिल करने वाले नागेश्वर मिश्र की जानिब से कहा गया था कि जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के सद्र रहे कन्हैया कुमार ने 9 फरवरी 2016 को JNU अहाते (परिसर) में मुल्क मुखालिफ नारे लगाए थे. जिस पर उनके खिलाफ गद्दारिए वतन (देशद्रोह) की दफआत (धाराओं) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. दिल्ली में मुकदमे का ट्रायल चल रहा है. यह भी कहा गया कि कन्हैया और उनके साथी उन दहशतगर्दों को फ्रीडम फाइटर बताते हैं जो हिंदुस्तान के इत्तिहाद व साल्मियत (एकता व अखंडता) पर हमला कर रहे हैं और उसे तबाह करने की कोशिश करते हैं. इसके बावजूद हिंदुस्तानी हुकूमत कन्हैया कुमार की शहरियत समाप्त नहीं कर रही है.