नई दिल्ली: चीफ जस्टिस एसए बोबडे की सदारत वाली तीन मेंबरी बेंच ने आज विकास दुबे के एनकाउंटर की जांच की मांग करने वाली अर्ज़ियों पर समाअत करते हुए एनकाउंटर की जांच अदालत की निगरानी में कराने से इंकार कर दिया है. हालांकि इस दौरान अदालत ने एक जांच कनीशन बनाने का इशारा ज़रूर दिया है. इस मामले की अगली समाअत अब 20 जुलाई को होगी साथ ही SC ने उत्तर प्रदेश हुकूमत को इस मामले में अपने जवाब दाखिल करने के लिए 23 जुलाई तक का वक्त दिया है. 


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चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ''हमने हैदराबाद के मामले में कमीशन की तश्कील की थी. सभी फरीक इस पहलू पर सुझाव दें.'' वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश हुकूमत का मौकफ रख रहे सॉलिसीटर जनरल ने कहा, ''हमें अपनी बात रखने का मौका मिले.'' अर्ज़ी दहिंदा ने सुप्रीम कोर्ट से जांच की निगरानी की मांग की. इस पर सीजेआई ने कहा, ''हम ऐसा नहीं करेंगे.''


बता दें कि कानपुर में 8 पुलिस अहलकारों का कत्ल करने वाले मुजरिम विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट में तीन अर्ज़ियां दाखिल की गई हैं. 


एक अर्ज़ी सुप्रीम कोर्ट के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने दाखिल की है जिसमें 2 जुलाई को 8 पुलिस वालों के कत्ल के मामले की भी CBI या NIA जांच की मांग की गई है. 


वहीं दूसरी अर्ज़ी पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (PUCL) के ज़रिए दाखिल की गई है. PUCL ने इन एनकाउंटर की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सवाल किया है कि क्या फौरी तौर पर इंसाफ के लिए पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में ले सकती है?


तीसरी अर्ज़ी मुंबई के एक वकील घनश्याम उपाध्याय ने दाखिल की है. यह अर्ज़ी विकास दुबे एनकाउंटर से पहले और गिरफ्तारी के बाद दाखिल की गई थी. अर्ज़ी में विकास दुबे के एनकाउंटर का खदशा ज़ाहिर किया गया था और विकास दुबे को एनकाउंटर से बचाने की मांग की गई थी. इसके अलावा उसके घर को तोड़े जाने पर FIR की भी मांग की गई है.


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