हेडली ने कैसे रची मुंबई हमले की साजिश और इस तरह की थी तहव्वुर राणा ने मदद
हेडली (David Headley) ने बताया था कि 2005 में लश्कर-ए-तैयबा के तीन सदस्यों के हुक्म के मुताबिक उसने भारत में अपनी मंसूबों के लिए जानकारी जुटानी शुरू की थी.
नई दिल्ली: पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana) की भारत हवालगी के मामले में गुरुवार को लॉस एंजिलिस (अमेरिका) की एक अदालत ने कुछ और क़ाग़ज़ात मांगे हैं और कहा है कि तब तक तहव्वुर राणा अमेरिका की हिरासत में ही रहेगा. ये वही तहव्वुर राणा है जिस पर मुंबई आतंकी हमले (Mumbai Terror Attack 2008) की साजिश में शामिल डेविड हेडली (David Headley) को मदद फराहम करने का आरोप है. तो आइए जानते हैं कि डेविड हेडली ने कैसे मुंबई हमले की साज़िश रची और तहव्वुर राणा ने कैसे इसकी सहायता की.
हेडली ने कैसे रची साज़िश
मुंबई आतंकी हमले (Mumbai Terror Attack 2008) की साजिश में शामिल डेविड हेडली (David Headley) को अमेरिका की एक अदालत ने 2013 में 35 साल की सजा सुनाई थी. उसने भारत में मुंबई हमलों पर चल रहे मामले में सरकारी गवाह बनना कबूल किया था. इस गवाही के बदले उसने सजा में माफी की गुहार लगाई थी.
हेडली ने भारत के पांच दौरे किए
हेडली (David Headley) ने बताया था कि 2005 में लश्कर-ए-तैयबा के तीन सदस्यों के हुक्म के मुताबिक उसने भारत में अपनी मंसूबों के लिए जानकारी जुटानी शुरू की थी. उसने सितंबर, 2006, फरवरी और सितंबर, 2007 और अप्रैल-जुलाई, 2008 में भारत के पांच दौरे किए थे. साथ ही हर दौरे में उसने अलग-अलग जगहों के वीडियो भी बनाए थे. ये वो ही जगहें थीं जहां आतंकवादियों ने हमला किया था. डेविड हेडली (David Headley) को मुंबई हमले (Mumbai Terror Attack 2008) के मामले में अमेरिका में ही गिरफ्तार किया गया था.
निहायत बारिकी से की गई मुंबई हमलों की तैयारी
हेडली ने अदालत को बताया था कि मुंबई हमलों की तैयारी निहायत बारिकी से की गई थी और इसके पीछे उसी का दिमाग था. उन्होंने ये भी बताया था कि आतंकियों की कलाइयों में कलावा पहनाने का आइडिया भी उसी का था, जिन्हें उसने सिद्धिविनायक मंदिर से ख़रीदा था.
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राणा ने डेविड हेडली को कैसे मदद पहुंचाई
हेडली (David Headley) भारत दौरे के दौरान अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए किसी ऐसे शख्स की ज़रूरत थी जो भारत उसकी कवर सके और बिना रोक टोक अपनी सरगर्मियों को पूरा कर सके. इसके लिए हेडली ने अपने दोस्त तहव्वुर राणा (Tahawwur Hussain Rana) का इंतिखाब किया, जो शिकागो और दूसरी जगहों पर फर्स्ट वर्ल्ड नामी इमीग्रेशन की एक कंपनी चलाता था. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, हेडली ने बाताया कि उनके कहने पर राणा ने उसे इजाज़त दी कि वह इसकी एक शाखा मुंबई में खोल सकता है. इस कंपनी के लिए ऑफिस खोलने की आड़ में हेडली ने मुंबई की हर उस जगह की वीडियो उतारी और फोटो लिए जहां बाद में हमले किए गए.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर 2009 में गिरफ्तारी के बाद दिए गए एक बयान में तहव्वुर राणा (Tahawwur Hussain Rana) ने भा इस बात कुबूल किया था कि उसे मालूम था कि लश्कर एक आतंकी संगठन था और हेडली ने उन ट्रेनिंग कैंपों में हिस्सा लिया था, जो संगठन पाकिस्तान में चलाता था.
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समंदर के रास्ते मुंबई पहुंचे और गोलीबारी की जिसमें 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोग मारे गए थे और 200 से ज्यादा लोग ज़ख्मी हो गए थे. एनएसजी और दूसरे सुरक्षाबलों ने नौ आतंकवादियों को ढेर कर दिया था और अजमल आमिर कसाब नाम के आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया था जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई.
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