जन गण मन कैसे बना भारत का राष्ट्रगान, जानिए इससे जुड़ी खास बातें
संविधान सभा ने जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया.
नई दिल्ली: इस साल मुल्क अपनी आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना हा है. फितरी तौर पर यौमे आज़ादी के मौके पर मुल्क भर में जश्न और खुशी की माहौल रहा है. इस साल मुल्क में 'यौमे आज़ादी' (Independence Day 2021) को 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तौर पर मनाया जा रहा है. इस मौके पर भारत का राष्ट्रगान जन गण जब भी सुनाई देता है और हर भारतीय सम्मान में खड़ा हो जाता है. तो आइए जानते हैं जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान दर्जा क्यों और कैसे दिया गया.
जन गण मन कैसे बना भारत का राष्ट्रगान
जन गण मन को इसके अर्थ की वजह से राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया. इसके कुछ अंशों का मतलब होता है कि भारत के शहरी, भारत की अवाम अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है. हे अधिनायक (सुपरहीरो) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो. इसके साथ ही इसमें देश के अलग- अलग रियासतों का जिक्र भी किया गया है और उनकी खूबियों के बारे में बताया गया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रगान को पूरा गाने में 52 सेकेंड का वक्त लगता है जबकि इसके संस्करण को चलाने की मुद्दत लगभग 20 सेकंड है. राष्ट्रगान में 5 पद हैं. रवींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान को ना सिर्फ लिखा बल्कि उन्होंने इसे गाया भी. इसे आंध्र प्रदेश के एक छोटे से जिले मदनपिल्लै में गाया गया था.
ये भी पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस से पहले बड़ी आतंकी साजिश नाकाम, जैश ए मोहम्मद के 4 आतंकी गिरफ्तार
24 जनवरी 1950 को मिला राष्ट्रगान का दर्जा
संविधान सभा ने जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया. हालांकि इसे साल 1905 में बंगाली में लिखा गया था. राष्ट्रगान से जुड़ी कुछ खास बातों में से एक ये है कि इस गाते वक्त ध्यान रहे कि इसकी ताज़ीम खड़े हो जाया करें.
Zee Salaam Live TV: