Watermelon Palestine Symbol: अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, और इजराइल-हमास वॉर की अपडेट्स सोशल मीडिया के जरिए ले रहे हैं, तो आपने गौर किया होगा कि कई फिलिस्तीनी समर्थक अपनी पोस्ट में फिलिस्तीनी झंडे का इस्तेमाल न करके कटे तरबूज की इमोजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. पर ऐसा सोशल मीडिया यूजर्स क्यों कर रहे हैं?  इजराइल-हमास वॉर शुरू होने के बाद फैल रही गलत इंफॉरमेशन्स और फेक न्यूज को रोकने के लिए सोशल मीडिया ने अपनी कुछ पॉलिसीज में मॉडरेशन किया है. लेकिन कुछ यूजर्स का दावा है, कि इस बहाने फिलिस्तीन समर्थक पोस्ट को सेंसर किया जा रहा है. जिन सोशल मीडिया पोस्ट या कमेंट में फ़िलिस्तीनी झंडे का इस्तेमाल होता है, ऐसे पोस्ट-कमेंट को इंस्टाग्राम, फेसबुक, टिक-टॉक द्वारा डाउन किया जा रहा है. 

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कटा तरबूज फ़िलिस्तीन की लड़ाई का प्रतीक बन रहा है
पोस्ट्स को सेंसर होने से बचाने और अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए  फ़िलिस्तीन समर्थक फ़िलिस्तीनी झंडे की जगह कटे तरबूज का यूज कर रहे हैं. इसके अलावा कंटेंट क्रिएटर गज़ा के लिए फंड जमा करने वाले फोटो और बैनरों पर भी तरबूज का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके बाद फ़िलिस्तीन की अजादी की लड़ाई में तरबूज एक संघर्ष का सिंबल बनके उभरा है. 


फ़िलिस्तीनी संघर्ष में नया नहीं है तरबूज का इस्तेमाल 
फ़िलिस्तीनी सिंबल के रूप में तरबूज़ का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. 1967 में छह दिन की जंग के बाद पहली बार कटे तरबूज का इस्तेमाल हुआ था. जब इज़राइल ने अरब देशों को जंग हराने के बाद वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद इजराइल सरकार ने पूरे फिलिस्तीन में फ़िलिस्तीनी झंडे को सार्वजनिक जगाहों पर लहराने को आपराधिक करार दे दिया था. अगर कोई ऐसा करते पकड़ा जाता तो उसको जेल भेज दिया जाता था, मारा जाता था या कोई और सजा दी जाती थी. इससे बचने के लिए फ़िलिस्तीनियों ने आधे कटे तरबूज का इस्तेमाल करना शुरू किया, क्योकिं तरबूज को जब काटा जाता है तो उसमें काला, सफ़ेद और हरा वो सभी रंग मौजूद है, जो फिलिस्तीन के झंडे में होते हैं. हलाकि इस बैन को 1993 में Israel सरकार और PLO के बीच ओसलो अकॉर्ड के तहत हुए समझोते के बाद हटा दिया गया था.