Hyderabad: भारत के प्रमुख शहरों में दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के बाद हैदराबाद को चौथे सबसे प्रदूषित शहर के तौर पर जगह दी गई है और यह देश के साउथ में सबसे प्रदूषित बड़ा शहर है. 21 अक्टूबर को आईक्यूएयर की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक़ हैदराबाद में वायु प्रदूषण की सतह 159 के AQI के साथ अनहेल्दी श्रेणी में रखा गया है. मुख्य प्रदूषक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 या छोटे कण थे जिनके प्राथमिक स्रोत ऑटोमोबाइल और उद्योग थे. जानकारों का कहना है कि शहर में वायु प्रदूषण में गाड़ियों का योगदान एक तिहाई है.


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वायु प्रदूषण के लिए वाहन ज़िम्मेदार: विशेषज्ञ
हैदराबाद के केआईएमएस अस्पताल में सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ वी.वी. रमण प्रसाद के मुताबिक़ मौसमी वायरल संक्रमणों के साथ-साथ गाड़ियों के प्रदूषण में इज़ाफ़ा होने की वजह से जो लोग प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं, उनमें छींकने वाली सर्दी, छाती में बेचैनी, सूखी खांसी और घरघराहट के लक्षणों के साथ ब्रोन्कियल अस्थमा की समस्या देखी जा रही है. एसएलजी हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी, डॉ. आर. आदित्य वडन का इस मामले में कहना है कि जितना ज़्यादा प्रदूषण होगा, फेफड़े की कार्यक्षमता और व्यक्ति की सेहत उतनी ही ख़राब होगी. माहेरीन के मुताबिक़ "आम तौर पर भारत में उत्तरी राज्य दक्षिणी राज्यों के मुक़ाबले में ज़्यादा प्रदूषित हैं".


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लोगों में बढ़ा बीमारियों का ख़तरा
हैदराबाद में जीवाश्म ईंधन जलाने, निर्माण, लैंडफिल को जलाने और ठोस कचरे के लैंडफिल में आग लगाने के अलावा, एयर क्वालिटी के बिगड़ने का एकमात्र और सबसे बड़ी वजह गाड़ियों के प्रदूषण को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. जिसकी वजह से लोगों में बीमारियों का ख़तरा बढ़ा हैं. 2017 और 2020 के बीच हैदराबाद में पीएम 2.5 की सतह में गिरावट दर्ज की गई थी और इसके लिए ग्रीन ड्राइव और सख्त ऑटोमोबाइल उत्सर्जन मानदंडों को जिम्मेदार ठहराया गया था। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि यह 2021 में बढ़ना शुरू हुआ. रिपोर्ट से पता चला है कि जहां 2021 के दौरान औसत पीएम 2.5 39.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर एयर था, वहीं दिसंबर के दौरान यह 68.4 तक पहुंच गया था.


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