Karnataka High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने आज यानी 18 दिसंबर को राय वक्त की कि जो ग्रामीण एक दलित महिला को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने पर मूकदर्शक बने रहे, उन पर सरकार को जुर्माना लगाना चाहिए और यह राशि पीड़िता को दी जानी चाहिए. 


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हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर गौर करते हुए आगे कहा, "कर्नाटक सरकार को बेलगावी जिले के वंतमुरी गांव के लोगों को सजा देने या जुर्माना लगाने का प्रावधान करना चाहिए, जहां यह घटना घटी. 


खंडपीठ ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक ने उन गांवों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया, जहां लोग चोरी में शामिल थे. इसी प्रकार, यदि मौजूदा में अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है, तो लोग आने वाले दिनों में ज्यादा जिम्मेदारी दिखाएंगे. कोर्ट ने कहा, “अगर ऐसी घटनाएं होने पर लोग मूकदर्शक बन जाते हैं, तो समाज में क्या संदेश जाता है? स्वार्थ के लिए कायरता दिखाने वाले ग्रामीणों को समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं. सरकार को गांव के हर मकामी पर अतिरिक्त शुल्क लगाना होगा और जुर्माना वसूलना होगा."


आगे कोर्ट ने कहा, “ऐसे वक्त में जब एक औरत को निर्वस्त्र किया जाता है और उसके साथ मारपीट की जाती है, तब ग्रामीणों का मूकदर्शक बने रहना निंदनीय है. अगर भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकनी हैं तो नागरिक समाज को संदेश देना होगा. इस पृष्ठभूमि में, हम जुर्माना वसूलने का आदेश दे रहे हैं.” सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा, "जहांगीर नाम के शख्स ने महिला की मदद की." एडवोकेट जनरल शेट्टी ने कहा, "जब घटना हुई, तो वहां 60 से 70 लोग थे और ग्राम पंचायत सदस्यों सहित किसी ने भी पीड़ित की मदद करने की हिम्मत नहीं की."


उन्होंने कहा, “पीड़िता की काउंसलिंग की गई है और बेहतर इलाज दिया जा रहा है. उसकी सेहत में रोजाना सुधार हो रहा है. सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और प्रभावी जांच के लिए इसे सीआईडी को सौंप दिया है. 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सरकार ने महिला को मुआवजे के तौर पर दो एकड़ जमीन और पाँच लाख रुपये भी दिए हैं. लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों और दूसरे को सस्पेंड कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने हस्तक्षेप किया होता तो यह घटना नहीं होती. 


बेंच ने कहा कि घटना का कोई राजनीतिक संबंध नहीं है और इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना है. दरअसल, यह घटना 10 दिसंबर को हुई जब 42 वर्षीय महिला को उसके घर के बाहर घसीटा गया, नग्न किया गया और घुमाया गया. फिर उसे बिजली के खंभे से बांधकर मारपीट की गई. उसकी गलती यह थी कि उसका बेटा गांव की एक लड़की के साथ भाग गया था. लड़की के परिवार वालों ने लड़के की मां यातना दी. 


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