G20 Summit: जब प्रधानमंत्री को पसंद आया दिलशाद का काला लोटा, जर्मनी ले गए गिफ्ट करने
G20 Summit 2023: लखनऊ में एक प्रोग्राम के दौरान पीएम मोदी को मटका पसंद आ गया था. इसके बाद उस मटके को बनाने वाले दिलशाद हुसैन के पास पीएम ऑफिस से कॉल आई...पढ़ें पूरा मामला
G20 Summit 2023: जी-20 का पहला सेशन जारी है. इस बीच पद्मश्री से नवाजे जा चुके दिलशाद हुसैन ने पीएम मोदी से उनकी मुलाकात का जिक्र किया. दिलशाद को जी-20 समिट में उनकी आर्ट और क्राफ्ट को पेश करने के लिए बुलाया गया है. दिलशाद ने बताया कि पीएम मोदी ने उनकी दुकान से एक मटका लिया था और उसे जर्मनी जाकर गिफ्ट किया था. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला
पीएम मोदी पसंद आया काले रंग का मटका
दिलशाद हुसैन बताते हैं, "हमारी लखनऊ में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्टॉल लगी हुई थी. पीएम नरेंद्र मोदी हमारी स्टॉल पर आए और सभी सामानों को अच्छे से देख कर चले गए. इस दौरान उन्होंने हमारे सामान की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि आपकी कला काफी अच्छी है. उसके बाद मैं घर आ गया और तीन दिन बाद मेरे पास एक फोन आया. उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी दुकान पर एक काले रंग का मटका रखा हुआ था, वह प्रधानमंत्री जी को पसंद आ गया है, और वह उसे लेकर जर्मन जाएंगे और वहां उसे गिफ्ट करेंगे. इसके साथ आप बिल भी भेज दीजिएगा."
भारत के लिए गिफ्ट
दिलशाद बताते हैं कि मैंने उन्हें बिल देने से मना कर दिया और कहा कि ये भारत के लिए गिफ्ट है. इसके बाद हमारे घर और पड़ोस में खुशी की लहर उठ गई कि आज हमारी कला जर्मन जा रही है और पीएम मोदी उसे लेकर जा रहे हैं.
जी20 का आज पहला दिन
मालूम हो कि जी-20 का आज पहला दिन है. पहले सेशन में पीएम मोदी ने मोरोक्को में मरने वाले लोगों के प्रति अपनी संवेदना पेश की, इसके साथ ही उन्होंने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' मंत्र का जिक्र किया. पीएम ने कहा,"आज, जी 20 के अध्यक्ष के तौर पर, भारत वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदलने के लिए दुनिया को एक साथ आने का आह्वान करता है. यह हम सभी के लिए एक साथ आगे बढ़ने का वक्त है. इस समय में, 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' का मंत्र हमारे लिए पथप्रदर्शक हो सकता है. चाहे वह उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन हो, पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी हो, भोजन और ईंधन का प्रबंधन हो, आतंकवाद हो, साइबर सुरक्षा हो, स्वास्थ्य हो, ऊर्जा हो या जल सुरक्षा, हमें आने वाले पीढ़ियों के लिए इसका ठोस समाधान ढूंढना होगा.