नई दिल्लीः सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया है कि पिछले साढ़े तीन सालों में 5,61,272 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है और किसी अन्य देश में जाकर बस गए हैं. लोकसभा में कार्ति पी चिदंबरम के सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह जानकारी सदन को दी है. सांसद कार्ति चिदंबरम ने पूछा था कि पिछले तीन सालों और इस साल के दौरान अब तक कितने भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है ?


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विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि मंत्रालय के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक, साल 2020 में 85,256 भारतीय नागरिकों, साल 2021 में 1,63,370 भारतीय नागरिकों, साल 2022 में 2,25,620 भारतीय नागरिकों और साल 2023 में जून तक 87,026 नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है.


विदेश मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले 1,22,819 (2011 में), 1,20,923 (2012 में), 1,31,405 (2013 में), 1,29,328 (2014 में), 1,31,489 (2015 में), 1,41,603 (2016 में), 1,33,049 (2017 में), 1,34,561 (2018 में) और 1,44,017 (2019 में) भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी. 
जयशंकर ने बताया कि पिछले दो दशक में वैश्विक कार्यस्थलों पर काम करने के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों की तादाद काफी ज्यादा हो गई है. इनमें से कई ने निजी सुविधा की वजह से विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है. जयशंकर ने बताया कि सरकार को इस घटनाक्रम की जानकारी है, और उसने ‘मेक इन इंडिया’ पर केंद्रित कई पहल शुरू की हैं, जो घरेलू स्तर पर देश की प्रतिभाओं का उपयोग कर सकेंगी. 


भारतीय नागरिकों द्वारा अपने देश की नागरिकता छोड़ने पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है. विपक्ष ने कहा है कि अगर देश की हालत इतनी ही अच्छी है और देश विश्व गुरु बन रहा है तो अपने ही देश के लोग देश क्यों छोड़ रहे हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि कारोबारी समूह देश छोड़कर बाहर जा रहा है. 


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