25 साल पहले 'अप्रचलित' घोषित कर दी गयी ली-एनफील्ड.303 राइफल ब्रिटिश औपनिवेशिक सशस्त्र बलों के प्राथमिक हथियार के रूप में काम आती थी, और ये 70 से अधिक वर्षों से उत्तरी भारतीय राज्य में पुलिस के प्रमुख हथियार के तौर पर रही है. इस राइफल को अंग्रेजों ने दोनों विश्व युद्धों में इस्तेमाल किया था. इसमें एक समय में एक ही गोली चलती है. बैरल को फिर से लोड करने के लिए बोल्ट को खींचने की ज़रूरत पड़ती है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, इन .303 राइफलों को 'थ्री-नॉट-थ्री' राइफल के रूप में जाना जाता है. इनका इस्तेमाल वर्षों पहले ही बंद कर दिया गया था. इन हथियारों को नष्ट करने की प्रक्रिया के लिए एक संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी को नियुक्त किया गया है, जो गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति की निगरानी में ही काम करेगा. इतना ही नहीं इन हथियारों के नष्ट करने से पहले उनका लोहा पिघलाया जाएगा. आपको बता दें की हर एक हथियार का वजन लगभग पांच किलोग्राम है.


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पूर्व पुलिस महानिर्देशक बृज लाल का ऐसा कहना है की "अगर प्रदर्शन के आधार पर बंदूकों के लिए कोई पुरस्कार होता, तो.303 या बोल्ट एक्शन राइफलों को निश्चित रूप से पुरस्कार मिलता. इतना ही नहीं पुलिस ने यह भी कहा कि 303 राइफल एक शानदार हथियार है. इसने अतीत में विभिन्न अभियानों में शानदार ढंग से हमारी सेवा की है मगर यह कम मैगज़ीन क्षमता वाला बोल्ट एक्शन हथियार है. अब इससे बदलने का वक़्त आ गया है. अब इसका उत्पादन भी बंद हो गया है. इसलिए अपग्रेड की और भी अधिक आवश्यकता थी. पुलिस का कहना ये भी है की नई स्वचालित राइफलें "हमारे अधिकारियों के आत्मविश्वास को बढ़ाएंगी" और इसके परिणामस्वरूप पुलिस व्यवस्था में सुधार होगा. अपराधियों को स्वाभाविक रूप से गर्मी का सामना करना पड़ेगा जब वे स्वचालित हथियारों से लैस अधिकारियों का सामना करेंगे.