Madhya Pradesh News: देश की पहली किन्नर पूर्व विधायक शबनम मौसी अक्सर अपने कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहती हैं. इस बार वह मध्य प्रदेश में आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में सुर्खियों में हैं. आचार संहिता के दौरान अपनी पिस्तौल जमा कराने में नाकाम रहने पर शबनम मौसी पर FIR दर्ज कराई गई है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या इल्जाम है?


पुलिस के मुताबिक शबनम मौसी को पिस्तौल जमा कराने के लिए नोटिस दिया गया था. लेकिन उन्होंने वक्त पर पिस्तौल नहीं जमा कराई इसलिए उन पर FIR दर्ज कराई गई. पुलिस के हुक्म को न मानने की वजह से शबनम पर धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया. बताया जाता है कि शबनम के पास दो बंदूकें थीं. उन्होंने एक बंदूक जमा करा दी जबकि दूसरी नहीं जमा कराई. इसके बाद इंतेजामिया ने उनका लाइसेंस रद्द कर दिया है.


कब बनीं पहली किन्नर विधायक


गौरतलब है कि शबनम मौसी साल 2000 में मध्य प्रदेश के उपचुनाव में देश की पहली किन्नर विधायक चुनी गईं. उन्होंने मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के सोहागपुर सीट से उपचुनाव जीता था. यह सीट उस वक्त के कांग्रेस विधायक कृष्णपाल सिंह की मौत के बाद खाली हुई थी. इसके बाद शबनम मौसी ने भाजपा के लल्लू सिंह को 17,800 से ज्यादा वोटों से हराया था. उन्होंने साल 2003 में भी चुनाव लड़ा था लेकिन इस वक्त उन्हें महज 1400 वोट मिले और वह हार गई थीं. शबनम मौसी एक बार एक ड्राइवर के साथ मारपीट की वजह से सुर्खियों में रह चुकी हैं.


किन्नरों को मिला हक


भारत में साल 1994 में किन्नरों को वोट देने का हक मिला. साल 2018 में मध्य प्रदेश की अंबाह सीट से एक साथ 5 किन्नर चुनाव मैदान में उतरे. भाजपा, कांग्रेस और बसपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने किन्नर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी को कामयाबी नहीं मिली. इस साल आम आदमी पार्टी ने चंदा किन्नर को टिकट दिया है.