नई दिल्लीः मशहूर फिल्मकार डॉ. इकबाल दुर्रानी ने कहा है कि वह प्यार, इश्क और मोहब्बत की बात करने आए हैं. वह चाहते हैं कि उनकी मोहब्बत में हर धर्म के लोग शामिल हों, क्योंकि इस ग्रंथ में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे मुसलमान पढ़ कर समझ नहीं सकता. सामवेद का हिंदी और उर्दू में सचित्र अनुवाद करने वाले प्रसिद्ध फिल्म लेखक और निर्देशक डॉ. इकबाल दुर्रानी ने ज़ी मीडिया के संवाददाता अभिषेक दूबे से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी किताब को लेकर चर्चा की है.

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गंगा यमुनी तहजीब को बढ़ावा देना है मकसद  
17 मार्च 2023 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत डॉ. इकबाल दुर्रानी की उर्दू में लिखी सामवेद का विमोचन करेंगे. ये प्रोग्राम दिल्ली के लाल किला के 15 अगस्त पार्क में होगा. विमोचन के पहले इकबाल दुर्रानी ने कहा कि   मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मैं कल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ लाल किले पर मौजूद रहूंगा और उनके हाथ से सामवेद ग्रंथ का उर्दू संस्करण देश में लॉन्च होगा. भारतीय संस्कृति और परंपरा को मुस्लिम समुदाय तक पहुंचाने और देश में गंगा यमुना तहजीब को और मजबूती देने के पहल के अंतर्गत चार वेदों में से एक वेद सामवेद के सचित्र हिंदी और उर्दू अनुवाद का विमोचन किया जा रहा है. 

हिंदू मुस्लिम एकता के समर्थक है दुर्रानी 
इकबाल दुर्रानी ने कहा कि सामवेद ग्रंथ मंत्रों का संग्रह है. इन्ही मंत्रों का मैंने उर्दू में अनुवाद किया है. यह मंत्र इंसान और भगवान के बीच के वार्तालाप का जरिया है. मैं चाहता हूं कि देश में हिंदू मुस्लिम एकता बने. एक दूसरे के ग्रंथ के बारे में लोग आपस में जानकारी रखें, क्योंकि सब भगवान की बात करते हैं और मुझे किसी का कोई डर नहीं है. मैं प्यार, इश्क मोहब्बत की बात करता हूं, और करता रहूंबा. उन्होंने कहा कि कौन से राजनीतिक दल या कौन से राजनीतिक व्यक्ति क्या बयान देता है, मुझे उससे कोई मतलब नहीं है.  
इकबाल दुर्रानी बिहार के बांका जिले से ताल्लुक रखते हैं और वह कमर्सियल हिंदी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने 'फरेब, ’ 'बेताज बादशाह’, 'मेंहदी’, 'खुद्दार’, 'फूल और कांटे’, 'सौगंध’, 'कातिल’ और 'मजबूर ’ जैसी दर्जनों हिट फिल्में बनाई हैं. उन्होंने अपनी ही कई फिल्मों में विलेन का किरदार भी निभाया है.


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