Islamic Knowledge: इस्लाम मुसलमानों को कुछ शर्तों के साथ एक से ज्यादा शादियां करने की इजाजत देता है. ये शादियां ऐसी हालत में की जाती हैं कि जब पहली बीवी इसकी इजाजत दे या फिर जब बहुत जरूरी हो जाए. ऐसे में इस्लाम ने मुसलमानों को हुक्म दिया है कि वह अपनी बीवियों के साथ इंसाफ करें. अगर वह ऐसा नहीं कर सकते हैं तो वह एक से ज्यादा शादी न करें. 


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बीवी के साथ इंसाफ
उलेमा का मानना है कि आदमी तमाम हालात के बावजूद अपनी बीवियों के दरमियान समानता नहीं बरत सकता है. एक बीवी खूबसूरत है, दूसरी बदसूरत. एक जवान है दूसरी अधेड़. एक बीमार है दूसरी तंदरुस्त. एक बदमिजाज है दूसरी खुश मिजाज. इसी तरह के दूसरे मसले भी होते हैं, जिनकी वजह से एक शख्स की चाहत एक बीवी की तरफ हो जाती है. ऐसे में कहा जाता है कि जिस बीवी को तुमने कमी की वजह से तलाक नहीं दिया है, उसके साथ इतना इंसाफ करो कि वह ऐसा महसूस न करे वह बिना शौहर के है.


प्रोफेट मोहम्मद स0. ने क्या कहा?
प्रोफेट मोहम्द स0. अपनी बीवियों के दरमियान इंसाफ किया करते थे और दुआ किया करते थे कि "ऐ अल्लाह! ये मेरी तकसीम है. इन चीजों में जिन पर मेरा काबू है, तो मुझे इन चीज में मलामत न कर जो खालिस तेरे कब्जे में नहीं."


कुरान क्या कहता है?
बीवियों के साथ इंसाफ करने के ताल्लुक से अल्लाह ने कुरान में फरमाया है कि "पस अगर ये अंदेशा हो कि (एक से ज्यादा बीवियों के दरमियान) इंसाफ न कर सकोगे तो फिर एक ही बीवी रखो." (कुरान- सूरा, निसा: 3) 


अल्लाह ने दी हिदायत
एक दूसरी जगह कुरान में अल्लाह कहता है कि "और तुम्हारे बस में नहीं कि बीवियों के दरमियान पूरा-पूरा इंसाफ कर सको, लेकिन तुम चाहो (पस खुदाई कानून की मन्शा पूरा करने के लिए ये काफी है कि) एक बीवी की तरफ ऐसे न झुक जाओ कि दूसरी को यूं ही बे सहारा लटकती हुई छोड़ दो. अगर तुम अपने तर्ज ए अमल को दुरुस्त रखो और खुदा से डरते रहो वह चश्म पोशी करने वाला और रहम करने वाला है." (कुरान- सूरा निसा: 129)


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