Islamic Knowledge: इस्लाम शांतिप्रिय मजहब है. इस्लाम कहता है कि अपने बड़ों की इज्जत और अपने छोटों पर शफकत (रहम) करो. इस्लाम जानवरों के प्रति नरम रवैया रखने की नसीहत देता है. इसी तरह से इस्लाम गुस्से पर काबू रखने की हिदायत देता है. इस्लाम कहता है कि ताकतवर शख्स वह नहीं जो मैदान में किसी भी पहलवान को पछाड़ देता है, बल्कि असली तकतवर इंसान वह है, जो अपने गुस्से पर काबू रख लेता है.


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गुस्से से बिगड़ते हैं काम
कुछ मामलों में गुस्सा आना जरूरी है. यह इंसानी फितरत है. इस्लाम कहता है कि अगर आपके दीन को कोई नुकसान पहुंचाता है, तो गुस्सान आना लाजमी है. अगर आपकी इज्जत और आपके हक पर बात आ जाए तो भी गुस्सा आना अच्छी बात है, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना और अपना आपा खो देना अच्छी बात नहीं. गुस्सा ऐसी चीज है कि इंसान अपने आप में नहीं रहता है. इससे जो काम बनने वाले होते हैं, वह बिगड़ जाते हैं. कई बार लोग गुस्से में इतने बेकाबू हो जाते हैं कि अपने मां-बाप को ही बुरा-भला कहना शुरू कर देते हैं. इसलिए इस्लाम हिदायत देता है कि गुस्सा करने के बजाए हिकमत अमली से काम लें और समझ बूझ कर चलें.


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कौन है ताकतवर?
गुस्सा करने के बारे में एक हदीस है. "अल्लाह के रसूल स0. ने फरमाया: ताकतवर वह नहीं है, जो कुश्ती में दूसरों को पछाड़ दे. असल ताकतवर वह है जो गुस्से के वक्त अपने ऊपर काबू रखता हो. (यानी गुस्से की हालत में कोई ऐसी हरकत नहीं करता जो अल्लाह और उसके रसूल स0. को नापसंद हो.)"


ऐसे करें गुस्से पर काबू
इस्लाम में अपने गुस्से पर काबू रखने के तरीके के बारे में बताया गया है. एक हदीस में कहा गया है कि गुस्सा आग से पैदा होता है. इसलिए जब आपको गुस्सा आए तो वजू करे लें. इसके अलावा पानी पीने से भी गुस्सा जाता रहता है. एक हदीस में है कि "अल्लाह के रसूल ने फरमाया है: जब तुम में से किसी को खड़े होने की हालत में गुस्सा आए तो उसे चाहिए कि वह बैठ जाए. अगर इस तरह गुस्सा ठंडा हो जाए तो ठीक, वरना लेट जाए (तो गुस्सा दूर हो जाएगा)."