मदरसों में गैर-मुस्लिम छात्रों के पढ़ने पर चिढ़ा NCPCR, रोकने के लिए तत्काल उठाया ये कदम
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस भेजकर ऐसे मदरसों की पहचान करने को कहा है, जहां हिंदू बच्चे भी पढ़ाई करते हैं. एनसीपीसीआर ने उन बच्चों को मदरसों से निकालकर स्कूलों में दाखिला कराने का निर्देश दिया है.
नई दिल्लीः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शुक्रवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को उन मदरसों की पहचान करने के लिए नोटिस जारी किया, जिनमें गैर-मुस्लिम छात्र भी पढ़ाई कर रहे हैं. एनसीपीसीआर ने दकहा है कि हमें सरकार द्वारा वित्तपोषित या मान्यता प्राप्त मदरसों में जाने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों के बारे में विभिन्न स्थानों से शिकायतें मिली हैं. इसके बाद ये आदेश जारी किए गए हैं. एनसीपीसीआर के प्रमुख ने कहा है कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने एक आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा था कि वह गैर-मुस्लिम छात्रों को मदरसों में दाखिला देना जारी रखेगा. गैर-मुस्लिम छात्रों को इस्लामी शिक्षा देना अनुच्छेद 28 का उल्लंघन है.
संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का उल्लंघन
एनसीपीसीआर ने कहा है कि संविधान का छियासीवां संशोधन अधिनियम, 2002 का अनुच्छेद 21-ए, छह से चौदह वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान करता है, जो उसका मौलिक अधिकार है. आरटीई अधिनियम, 2009 में भी इसका जिक्र किया गया है. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का स्पष्ट उल्लंघन है, जो माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक निर्देश में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है.
सरकारें उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रही हैं
एनसीपीसीआर ने सभी गैर-मुस्लिम मदरसों की मैपिंग के अलावा जांच के बाद मुख्य सचिवों को उक्त मदरसों में सभी गैर-मुस्लिम छात्रों को औपचारिक स्कूलों में प्रवेश देने की सिफारिश की है. आयोग के पत्र में कहा गया हैः “हालांकि, यह भी पता चला है कि जो मदरसे सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, वे बच्चों को धार्मिक और कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा, कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रही हैं.
मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के सद्र इफ्तिखार अहमद जावेद ने 7 जनवरी को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से उनके पत्र पर पुनर्विचार करने की अपील की थी और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गैर-मुस्लिम बच्चों को दाखिला देने वाले मान्यता प्राप्त मदरसों का निरीक्षण करने का आग्रह किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि गैर-हिंदू बच्चे भी संस्कृत स्कूलों में जाते हैं.इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, हम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के तहत बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है.
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