नई दिल्लीः इस्लाम धर्म में शरीर की पवित्रता यानी पाक-साफ़ रहने पर काफी जोर दिया गया है. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि प्रत्येक मुसलमान को दिन में पांच वक्त अनिवार्य तौर पर नमाज अदा करने का हुक्म है, और नमाज पढ़ने के लिए यह पहली शर्त है कि नमाज पढ़ने वाला शख्स पाक-साफ यानी पवित्रता की हालत में हो. अगर कोई पाकी की हालत में न हो, तो उसे नमाज पढ़ने के पहले स्नान करने का हुक्म दिया जाता है. व्यक्ति कब और दिन में कितनी बार स्नान करे या उसके स्वेच्छा और सहूलत पर छोड़ा गया है, लेकिन कुछ कामों के बाद नहाना अनिवार्य करार दिया गया है. अब यह जानना जरूरी है कि वह कौन सी परिस्थितियां और कार्य हैं, जिनसे इंसान नापाक/अपवित्र हो जाता है और उसपर नहाना फर्ज यानी जरूरी हो जाता है. वह जबतक नहा नहीं लेता है किसी धार्मिक काम में उसका हिस्सा लेना उचित नहीं माना गया है और न नहाने वाले को पाप का भागिदार बताया बताया गया है.


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1. किसी भी तरह के शारीरिक संबंध बनाने के बाद पुरुष और महिलाओं दोनों पर नहाना फर्ज यानी अनिवार्य हो जाता है. 
2. महिलाओं की मासिक धर्म की समाप्ति के बाद नहाना अनिवार्य हो जाता है. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पांच वक्त की नमाज से छूट दी गई है. 
3. डिलिवरी के बाद महिलाओं के स्नान करने को फर्ज करार दिया गया है. रक्तस्राव बंद होने के बाद महिलाओं को नहाना फर्ज है, लेकिन इसकी कोई मियाद तय नहीं की गई है.  
4. स्वनदोष के बाद भी महिलाओं और पुरुषों को स्नान करना अनिवार्य करार दिया गया है. हालांकि इसके साथ एक शर्त है कि कपड़ों पर वीर्य के निशान मिलने चाहिए. अगर इसके निशान न हो तो स्नान फर्ज नहीं होता है. 
5. हस्तमैथुन या किसी अन्य प्रकार से सैक्सुअल प्लेजर हासिल करने जिसमें गुप्तांग से वीर्य का स्राव हो, तो उसके बाद ऐसा करने वाले स्त्री और पुरुषों पर नहाना फर्ज हो जाता है, हालांकि सेक्सुअल डिजायर के ऐसे किसी भी तरीके को इस्लाम में हराम करार दिया गया है. 

नोटः अगर किसी को पेशाब के साथ पतला वीर्य निकल जाता हो, या किसी ऊँचाई से गिरने, या किसी डर की वजह से वीर्य निकल गया हो तो ऐसी अवस्था में उस शख्स पर नहाना फर्ज नहीं होता है, लेकिन अगर ऐसा वजू की हालत में हो तो वजू टूट जाता है. 

नहाने से पहले निषिद्ध है धार्मिक काम 
जिनपर गुस्ल/नहाना फ़र्ज़ हो जाता है, ऐसे शख्स को नमाज पढ़ने, क़ुरान का पाठ करने या किसी अन्य धार्मिक क्रिया कलाप में हिस्सा लेने से मना किया गया है. जिस व्यक्ति पर ग़ुस्ल फर्ज है, उसे जितना जल्दी मुमकिन हो नहा धोकर पाक होने की ताकीद की गई है. देर तक नापाकी की हालत में रहने वाले शख्स को गुनहगार बताया गया है, हालांकि ऐसे शख्स से किसी प्रकार की दूरी बनाने या भेदभाव करने की कोई गुंजाइश नहीं रखी गई है. 


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