Islamic Knowledge: आज के समाज में देखा जाता है कि कई लोग अपने घर में नाराज-नाराज से रहते हैं. वह अपने घर में ऐसा माहौल बना लेते हैं कि उनके सामने औरतें या बच्चे बोलते हुए डरते हैं. घर में उनकी मौजूदगी लोगों के घुटन का बाइस बनती है. घर पर ऐसे रहते हैं जैसे कि सारी दुनिया का बोझ उन्हीं पर है. बाहर से जब वह घर में दाखिल होते हैं तो लोग डर-सहम जाते हैं. घर में इस तरह रहने से इस्लाम ने मना किया है. 


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घर में रखें हंशी खुशी का माहौल
इस्लाम कहता है कि अपने घर पर आराम से रहें. हंसी-खुशी का माहौल बनाए रखें. आप अपने घर में इस तरह रहें कि लोग आपके रहने से राहत और सुकून महसूस करें. बच्चे आपके आस-पास खेलें. घर की औरतें आपसे आसानी से बात कर सकें. कोशिश करें कि अपनी निजी जिंदगी की परेशानियां और कारोबार की चिंताएं बाहर ही छोड़ कर आएं.


बीमार के लिए राहत
घर में अगर कोई बीमार है या कोई दर्द में है तो आपकी मौजूदगी में अपनी बीमारी को भूल जाए और उसे दर्द में राहत मिले. बच्चों से हंसी खुशी से बोलें, बात करें. घर के सभी लोगों से नर्म लहजे में बात करें. कोशिश करें अपने छोटे-मोटे काम जो आप कर सकते हैं, उसे औरतों पर न डाल कर उन्हें खुद ही निपटा लें. अगर घर में बच्चे हैं तो उनके साथ खेलें. घर में हल्का फुल्का हंसीं-मजाक करते रहें.


नबी स. अपने घर में
एक हदीस में इरशाद है कि प्रोफेट मोहम्मद स. जब घर में होते थे, तो वह घर के काम में लोगों का हाथ बटाते थे. आप अपने जूते खुद ही टांक लिया करते थे, अपने फटे हुए कपड़े खुद ही सिल लिया करते थे, बकरी का दूध दुह लेते थे और अपने घर में वे सभी काम करते थे जो आम आदमी कर सकता है.


घर पे रहने पर हदीस
"इब्ने अब्बास रजि. कहते हैं कि अल्लाह के रसूल स. ने फरमाया: तुम्हारे समाज में सबसे अच्छा इंसान वह है, जो अपने घरवालों के साथ अच्छा सुलूक करता हो और मैं तुम सबके मुकाबले अपने घरवालों के साथ सबसे अच्छा सुलुकर करने वाला हूं." (हदीस: तिरमिजी)