साथी हमसफर के साथ कैसा हो सुलूक, इस्लाम ने बताया सफर का सही तरीका
Islamic Knowledge: इस्लाम में सफर के बारे में जिक्र किया गया है. सफर के आदाब में यह भी है कि अगर आपको जरूरत न हो तो आप सफर न करें. इस खबर में हम आपको अपने साथी हमसफर का ख्याल रखने के बारे में बता रहे हैं.
Islamic Knowledge: हर इंसान को पढ़ाई-लिखाई, कारोबार, शादी और मेहमानी जैसी अलग-अलग जरूरतों के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है. ऐसे में तकरीबन हर शख्स को सफर करना पड़ता है. सफर करते हुए हमें कई साथी साथ मिल जाते हैं. इस्लाम में सफर के इन साथियों के हक का ख्याल रखने के बारे में बताया गया है. इस्लाम कहता है कि अगर आप सफर करें तो इस बात का ख्याल रखें कि आपकी वजह से आपके साथी शख्स को तकलीफ न हो.
जरूरतमंद को जगह दें
अक्सर देखा जाता है कि सफर में लोग बैठने के लिए झगड़ा कर लेते हैं, लेकिन इस्लाम कहता है कि अगर आपकी सीट रिजर्व नहीं है, तो आप अपने उस साथी को बैठने के लिए जगह दें, जो आपके पास खड़ा है. इसी के साथ अगर आपका सफर ज्यादा लंबा नहीं है और आप सेहतमंद हैं, तो आप बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बीमार शख्स को अपनी सीट देने की कोशिश करें.
साथी का रखें ख्याल
इसी तरह से इस्लाम में बताया गया है कि अगर आप कहीं लंबे सफर पर जा रहे हों और आपके खाने-पीने का माकूल इंतेजाम है, इस पर अगर आपके साथी मुसाफिर के पास खाने-पीने का सामान नहीं है, तो उससे भी पूछें. यह उस शख्स पर निर्भर करेगा कि वह इसे कुबूल करता है या नहीं. इसी तरह से चादर, तकिया और रजाई के बारे में भी जिक्र है. इस्लाम में सफर करते वक्त अपने साथी हमसफर के सामान का ख्याल रखने के बारे में बताया गया है. अगर आपका साथी सफर के दौरान कहीं किसी काम से इधर-उधर जाता है और आपसे अपने सामान की रखवाली के बारे में कहता है तो उसके सामान की हिफाजत करें. अगली बार वह आपके सामान की हिफजत करेगा.
साथी मुसाफिर की मदद
इसी तरह से जिक्र किया गया है कि अगर सफर के दौरान आपके साथी का सामान चोरी हो गया है. उसके पास न तो पैसे हैं न ही खाना है, तो कोशिश करें कि उसे किराए के पैसे दें और खाने पानी का इंतेजाम कर दें.
सफर पर हदीस
"हजरत अबू सईद खुदरी (रज) कहते हैं कि एक बार हम लोग सफर में थे कि एक शख्स नबी (स0) के पास सवार होकर आया और आते ही इधर-उधर देखने लगा (नबी स0 समझ गए कि इसे किसी चीज की जरूरत है.) तो आप स0 ने फरमाया: जिस शख्स के पास अपनी जरूरत से ज्यादा सवारी हो, उसे चाहिए कि वह उसे दे, जिसके पास सवारी का जानवर नहीं है. इसी तरह जिसके पास फालतू खाना हो, उसे चाहिए कि वह उस शख्स को दे, जिसके पास खाना नहीं है. हजरत अबू सईद खुदरी (रजि) का बयान है कि नबी (स0) ने धन की अनेक किस्मों का जिक्र किया, यहां तक कि हम लोग समझे कि हम लोगों में से किसी का अपनी जरूरत से ज्यादा धन पर कोई अधिकार और हक ही नहीं है." (हदीस: मुस्लिम)