Islamic Knowledge: हर इंसान का एक नाम होता है. वह बचपन से लेकर बुढ़ापे तक उसी नाम से बुलाया जाया है. उस नाम से उसका लगाव होता है. उससे उसकी चेतना जुड़ी होती है. एक इंसान अपने नाम के साथ इतना जुड़ा होता है कि अगर वह किसी जगह पर 5 लोगों के साथ सो रहा हो और कोई दूसरा शख्स उसको आवाज दे, तो जिस शख्स का नाम लिया जा रहा है वही शख्स जगेगा बाकी के चार सोते रहेंगे. किसी शख्स का नाम उसकी पूरी शख्सियत बयान करता है. इसलिए इस्लाम में बताया गया है कि किसी भी शख्स को उसके बुरे नाम से मत बुलाओ.


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नाम बिगाड़ने से खराब होते हैं रिश्ते
अक्सर देखा गया है कि किसी को चिढ़ाने के लिए उसको बुरे नाम से बुलाया जाता है या उसका नाम बिगाड़ते हुए बुलाया जाता है. जैसे किसी शख्स का नाम 'सिराज' है, तो उसे 'सिराज्वा' के नाम से बुलाया जाता है. इसी तरह अगर किसी शख्स का नाम 'ताबिश' है तो उसे 'तबिश्बा' के नाम से बुलाया जाता है. अगर किसी शख्स का नाम 'अल्ताफ' है, तो उसे 'अल्ताफ्बा' बुलाया जाता है. इस्लाम कहता है कि किसी का नाम बिगाड़ने से उसे बुरा लगता है. इससे आपसी ताल्लुकात खराब होते हैं. आपस के मेलजोल में कमी आती है. जबकि किसी शख्स को इज्जत के साथ अच्छे नाम से बुलाने से उसके दिल में आपके लिए इज्जत बढ़ती है. वह आपके सामने बेहतर तरीके से पेश आता है.


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अल्लाह के नाम की बेहुरमती
इस्लाम में एक जगह जिक्र है कि मुस्लिम ज्यादातर नाम अरबी लफ्ज से रखते हैं. इनमें से कई नाम अल्लाह के नाम पर होते हैं. जैसे अगर किसी का नाम 'रहमान' है. इसका मतलब होता है 'बड़ी रहमत वाला'. ऐसे में अगर उस शख्स को चिढ़ाने के लिए अगर हम 'रहमनवा' कहते हैं, तो इससे अल्लाह के नाम की बेहुरमती होती है. इसी तरह से अगर किसी शख्स का नाम 'गफ्फार' है, तो इसका मतलब 'गुनाहों को बख्शने वाला' होता है. ऐसे में अगर हम उस शख्स को 'गफ्फरवा' कह कर चिढ़ाते हैं तो इससे गुनाह होता है. इसी तरह से अगर किसी शख्स को हम चोर, पागल, गदहा या फिर झूठा कहकर बुलाते हैं, तो इससे आपसी ताल्लुकात तो खराब होते ही हैं, साथ ही इससे गुनाह भी होता है. इसलिए इस्लाम ने इन चीजों से हमें मना किया है.


किसी का नाम बिगाड़ने पर कुरान में जिक्र
कुरान में जिक्र है कि "ईमानवालों, खबरदार रहो कि कोई कौम किसी दूसरी कौम का मजाक न उड़ाए और देखो कि तुम एक दूसरे में बुराइयां न निकालो और एक दूसरे को बुरे नामों से मत बुलाओ." (कुरान: सूरह- हिजरात, आयत- 11)