Israel ceasefire: इजराइस और हमास की जंग के बीच फिलिस्तीनियों के लिए राहत की खबर है. छह हफ्तों से ज्यादा वक्त से चल रही इस जंग के बीच इजराइल सीज फायर के लिए राजी हो गया है. इजराइली सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है. बदले में हमास को 50 महिलओं और बच्चों को छोड़ना होगा. हालांकि इसे जंग का अंत नहीं माना जा सकता है. बता दें गाजा में अभी तक 14 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.


क्या बोने नेतन्याहू?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अपने एक बयान में नेतन्याहू ने मंत्रिमंडल के समझौते पर वोटिंग से पहले कहा कि जब तक हमास का सफाया नहीं हो जाता और सभी बंधकों को मुक्त नहीं करा लिया जाता, तब तक युद्ध जारी रहेगा. कतर के अधिकारी इजराइल और हमास के बीच समझौते में मध्यस्थता कर रहे हैं. नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने समझौते तक पहुंचने में मदद की थी ताकि इसमें ज्यादा बंधक और कम रियायतें शामिल हों.


क्या होगा सीज फायर से फायदा?


लगातार गोलाबारी की वजह से ह्यूमेटेरियन सपोर्ट गाजा में नहीं पहुंच पा रही थी. इजराइल ने इसे रोका हुआ था. लेकिन अब पहले सीज फायर के बाद गाजा के लोगों के लिए ह्यूमेटेरियन सपोर्ट पहुंच पाएगी. चार दिनों की इस रोक के बाद हमास के जरिए बंदी बनाए गए बच्चों और महिलाओं की रिहाई होगी. हालांकि यह साफ नहीं है कि संघर्ष विराम कब प्रभावी होगा, उम्मीद है कि बंधकों को गुरुवार से मुक्त किया जा सकता है


कितने लोग हैं बंदी?


7 अक्टूबर को हुए हमले के बाद हमास ने 240 लोगों को बंदी बना लिया था. बंधकों में मुख्य तौर से वे लोग थे जो उस संगीत समारोह में शामिल हुए थे जिसे हमास ने निशाना बनाया था. इज़राइल सरकार ने कहा है कि इज़राइली नागरिकों के अलावा, आधे से अधिक बंधकों के पास अमेरिका, थाईलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, अर्जेंटीना, जर्मनी, चिली, स्पेन और पुर्तगाल सहित लगभग 40 देशों की विदेशी और दोहरी नागरिक्ता वाले लोग थे. बता दें इससे पहले हमास ने चार बंदियों को मानवीय कारण का हवाला देते हुए रिहा किया था.


ज्ञात हो कि 17 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर सरप्राइज अटैक किया था. इस हमले में कई सौ लोग मारे गए थे और 240 से ज्यादा लोगों को संगठन ने बंदी बना लिया था. इस अटक के बाद दोनों देशों के बीच वॉर शुरू हो गया था, जिसमें अभी तक 14 हजार से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं. नेतन्याहू के जरिए किया गया यह पहला सीज फायर है, जो कि फिलिस्तीन के लोगों के लिए एक राहत की खबर है.