Jamiat Ulama-E-Hind: दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीअत उलेमा-ए-हिंद का महा अधिवेशन चल रहा है. अधिवेशन का आज दूसरा दिन है. इसमें बोलते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि "हम और आप (गैर मुस्लिम) तकरीबन चौदह सौ साल से साथ रहते हैं. हमने कभी किसी से जबरन धर्म परिवर्तन नहीं कराया. हमारा मानना है कि अगर कोई जबरन धर्म परिवर्तन कराता है तो वो बहुत दिनों तक नहीं हो सकता."


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उन्होंने कहा कि "अफगानिस्तान में सुपर पावर ने हर ताकत आजमा ली, लेकिन वहां मस्जिदों से आज भी अल्लाह हूं अकबर की सदाए गूंज रही हैं. आज बीजेपी की सरकार में हमने सुन लिया कि 20 करोड़ मुसलमानो को घर वापसी करा दो. मैं देश को कहना चाहता हूं कि ऐसा कहने वाले लोग ना अपने धर्म को जानते है ना देश के इतिहास को."


मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि "अल्लाह ने पहले नबी हज़रत आदम को भारत मे उतारा और आखिरी नबी मोहम्मद साहब को अरब में उतारा. हम आदम कहते है हिन्दू मनु कहते हैं. सबसे पहले ला इलाहा इल्लाह की आवाज़ हिंदुस्तान में उतरी. जिस ओम की इबादत मनु करते थे, उसी अल्लाह की इबादत आदम करते थे. ओम और अल्लाह एक ही है."


मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि "हमारे पूर्वज तो मनु हैं और हमें कहते हो कि घर वापसी कर लो. हम मर जाएंगे लेकिन अपने अल्लाह को नहीं भूलेंगे." उलेमा-ए-हिंद का महा अधिवेशन में कई दूसरे मजहब के लोगों को बुलाया गया. लेकिन मौलाना अरशद मदनी की बातों से नाराज होकर दूसरे मज़हब के धर्म गुरुओं ने मंच छोड़ दिया."


मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा जमीयत उलेमा-ए-हिंद का मानना है कि मजहबी घृणा और  साम्प्रदायिकता पूरे देश के लए अत्यंत हानिकारक है. यह देश की अखंडत के लए गंभीर खतरा, और हमारी प्राचीन संस्कृति के बिलकुल भी अनुरूप नहीं है. अलग-अलग मजहबों के बीच मत्रता और बंधुत्व हमारे समाज की गौरवशाली और स्थाई विशेषताएं हैं. इन सम्बंधों में दरार पैदा करना राष्ट्रीय अपराध है.


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