Professor Rahman Rahi Died: कश्मीर के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रचनाकार रहमान राही का निधन हो गया है. मशहूर कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़े जा चुके कश्मीर के पहले रचनाकार प्रोफेसर रहमान राही ने 9 जनवरी को दुनिया को अलविदा कह दिया. श्रीनगर में 98 साल की उम्र में उन्होंने आख़िरी सांस ली. प्रोफे़सर रहमान राही की आख़िरी रसूमात श्रीनगर के नौशहरा में दोपहर 2 बजे अदा की गई, जिसमें कई लेखको और शायरों के अलावा सियासी और समाजी शख़्सियात ने हिस्सा लिया. प्रोफ़ेसर रहमान राही के जाने से पूरे जम्मू कश्मीर के साथ साथ पूरे देश के लेखकों ने अफसोस का इज़हार किया. प्रोफे़सर रहमान राही को सोशल मीडिया के द्वारा श्रद्धांजलि दी जा रही है उनके घर में लोगों के आने-जाने का सिलसिला जारी है.


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कई पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित
प्रोफेसर राही का जन्म 6 मई, 1925 को हुआ था. उन्होंने कई कविता संग्रह लिखे और कुछ मशहूर कवियों की रचनाओं का कश्मीरी में ट्रांसलेशन किया. रहमान राही को 1961 में उनके कविता संग्रह 'नवरोज़-ए-सबा' के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड मिला, वहीं उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से 2007 में उनके संग्रह 'सियाह रूद ज़रीन मंज़' के लिए नवाज़ा जा चुका हैं. साल 2000 में उन्हें उनकी ख़िदमात के लिए 'पद्मश्री पुरस्कार' से भी सरफराज़ किया जा चुका है. प्रोफेसर राही ने बाबा फरीद की रचनाओं का कश्मीरी में अनुवाद किया है.


एक युग का अंत:एलजी मनोज सिन्हा
कश्मीर के एल मनोज सिन्हा ने अपने ट्वीट में लिखा, "कश्मीर के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर रहमान राही के निधन के बारे में जानकर बेहद अफसोस हुआ. उनके निधन से एक युग का अंत हो गया. उनके परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों के साथ मैं अपनी हमदर्दी का इज़हार करता हूं. वहीं राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ़ महबूबा मुफ्ती ने भी राही के निधन पर ग़म की इज़हार किया. उन्होंने ट्वीट किया, "महान साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रहमान राही साहब के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ उनके निधन से कश्मीरी साहित्य और समाज में एक शून्य पैदा हो गया जिसे कभी भरा नहीं जा सकता.


 


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