AIMIM Candidates In Jharkhand: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM) के चीफ असदउद्दीन ओवैसी झारखंड में दांव लगाने के लिए तैयार हैं. वो राजमहल, गोड्डा,  गिरिडीह,  रांची, चतरा और हजारीबाग में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. झारखंड में लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है, एक तरफ जहां महागठबंधन और एनडीए इंतेखाबी मैदान में है, वहीं दूसरी तरफ AIMIM ने भी झारखंड में दस्तक देने का इरादा कर लिया है. AIMIM की तैयारी पर झारखंड में सियासी महासंग्राम छिड़ गया है. ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन लोकसभा इलेक्शन के दौरान झारखंड में 5 से 6 सीटों पर मुकाबला करती नजर आ सकती है. दरअसल, पार्टी ने झारखंड में अपनी तैयारी से संबंधित रिपोर्ट पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी को भेज दी है.


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वहीं दूसरी तरफ, AIMIM को बीजेपी की बी टीम बताते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तंज किया है. पार्टी के तर्जुमान मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड में वह पार्टी कुछ है ही नहीं, डुमरी इलेक्शन में झारखंड के लोगों ने उनको सबक सिखा दिया, इलेक्टोरल बॉन्ड के चंदे की रकम के जरिए ऐसी पार्टियों को घोषित किया जाता है ताकि बीजेपी को सियासी मदद मिल सके. उन्होंने कहा कि, मजहबी तनाव फैलाने वाली पार्टियों को देश के लोग अब कभी भी मौका नहीं देंगे. वहीं, ओवैसी की पार्टी पर कांग्रेस भी हमलावर नजर आई. कांग्रेस ने कहा कि , उनके इलेक्शन लड़ने से महागठबंधन को कोई परेशानी नहीं है इस देश का संविधान तमाम सियासी पार्टियों को इलेक्शन लड़ने की इजाजत देता है. लेकिन उनका जो हाल डुमरी उपचुनाव में हुआ था, वह किसी से छुपा नहीं है. सब जानते हैं कि AIMIM भारतीय जनता पार्टी की B टीम के तौर पर अपने काम को अंजाम दे रही है.


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बीजेपी एमएलए बिरंचि नारायण ने कहा कि, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जहर उगलती है ,वह हमारी बी टीम नहीं हो सकती और रही बात चुनाव लड़ने की तो ये सब का संवैधानिक अधिकार है. इसकी इजाजत तमामा सियासी पार्टियों को है. बता दें कि, एआईएमआईएम जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है, वहां मुस्लिम वोट फैसला  निर्णायक रोल अदा कर सकते हैं. राजमहल पार्लियामानी हल्के में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं, जिनका फीसद तकरीबन 33.3 है. 219 के लोकसभा इलेक्शन में ये अकेली सीट थी , जिस पर महागठबंधन उम्मीदवार JMM के विजय हासंदा को शानदार जीत मिली थी. उनकी इस जीत में मुस्लिम वोटर्स के रोल को नकारा नहीं जा सकता.