Jharkhand political Crisis : झारखंड में चल रहे सियासी उठापटक के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को शनिवार को रांची से 60 किलोमीटर दूर लतरातू स्थानांतरित कर दिया गया है. सभी विधायक सीएम हाउस से दोपहर दो बजे तीन बसों पर सवार होकर निकले थे. उनके साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी एक एसयूवी से रवाना हुए थे. तीनों बसों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों के साथ सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे. इससे पहले बताया जा रहा था कि सभी विधायक छत्तीसगढ़ के लिए रवाना होंगे. गौरतलब है कि नई सरकार बनने पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अनिवार्य होगा और इसे देखते हुए यूपीए गठबंधन कोई भी जोखिम नहीं लेना चाह रहा है.   


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बैठक में 42 विधायक हुए थे शामिल 
इससे पहले दिन में, झामुमो की रहनुमाई वाले गठबंधन ने अपनी रणनीति और भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए मुख्यमंत्री आवास पर एक बैठक की थी. गुजिश्ता तीन दिनों में गठबंधन की यह चौथी बैठक थी. बैठक में सोरेन, रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, चंपाई सोरेन, सत्यानंद भोक्ता समेत कुल 42 विधायक शामिल हुए थे. ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने शुक्रवार को कहा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को कोई ‘खरीद फरोख्त’ के जाल में नहीं फंसा सकता है और वे रांची में रहेंगे. एक अन्य मंत्री, मिथिलेश ठाकुर ने दावा किया था कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 50 विधायकों का जादुई आंकड़ा है, जो 56 तक जा सकता है. सरकार बनाने में कोई बाधा नहीं है. 

मुख्यमंत्री को आयोग्य ठहराने से शुरू हुआ सियासी संकट 
गौरतलब है कि राज्य में सियासी संकट उस वक्त शुरू हुआ जब चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य करार दे दिया था. चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद झारखंड के गवर्रनर रमेश बैस ने सोरेन की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य ठहराने का हुक्म दिया था, लेकिन प्रक्रिया के मुताबिक, चुनाव आयोग द्वारा इस संबंध में एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. संभावना है कि चुनाव आयोग शनिवार को इस संबंध में पत्र जारी करेगा जिसके बाद सोरेन को इस्तीफा देना होगा. हालांकि, इस्तीफा देने के बाद, सोरेन फिर से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं, क्योंकि रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यपाल के आदेश ने उन्हें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित नहीं किया था.


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