Kaifi Azmi Poetry: `थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ`, पढ़ें कैफी आज़मी की बेहतरीन शेर
Kaifi Azmi Poetry: कैफी आजमी ने कई फिल्मों में गीत लिखे. उन्होंने `मिलो न तुम तो हम घबराएं`, `ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं` जैसे शानदार गाने लिखे. उन्होंने ‘काग़ज़ के फूल’, ‘गर्म हवा’, ‘हक़ीक़त’, ‘हीर राँझा’ जैसी कई फिल्मों के लिए काम किया.
Kaifi Azmi Poetry: कैफी आज़मी उर्दू के जाने माने शायर और बॉलीवुड के बड़े लिरिसिस्ट रहे हैं. कैफी आज़मी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था. उनकी पैदाइश उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में 14 जनवरी 1919 को हुई थी. कैफी की मई 1947 में शौकत से शादी हुई. अदाकारा शबाना आजमी कैफी आजमी की बेटी हैं. 10 मई 2002 को कैफी आज़मी इस दुनिया को अलविदा कह गए.
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
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इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
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मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई
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झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
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गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
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अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ
वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं
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कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है
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पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा
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जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
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इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े
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की है कोई हसीन ख़ता हर ख़ता के साथ
थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ
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बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
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कोई कहता था समुंदर हूँ मैं
और मिरी जेब में क़तरा भी नहीं
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