बेंगलुरुः हिंदूवादी तंजीमों की धमकियों और भाजपा हुकूमत की उदासीनता के बीच गुरुवार को कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में टीपू सुल्तान जयंती (Tipu Sultan Jayanti) मनाई गई. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सदस्यों ने हिंदू संगठनों की मुखालफत के बीच हुबली के ईदगाह मैदान में टीपू जयंती मनाई. कार्यक्रम में एआईएमआईएम की संयुक्त सचिव विजया गुंटराला और दीगर नेताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान टीपू सुल्तान की तस्वीर पर गुलपोशी कर पाक कुरान की आयतें पढ़ी गईं. एआईएमआईएम नेताओं ने भी टीपू सुल्तान का नाम लेकर नारेबाजी की.

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मैसूर के टाइगर हैं टीपू सुल्तान 
इस बीच मैसूर में टीपू जयंती (Tipu Sultan Jayanti) में शामिल हुए भाजपा एमएलसी एच. विश्वनाथ ने पार्टी लाइन से अलग जाते हुए कहा कि किसी को भी अंग्रेजों के खिलाफ टीपू सुल्तान के जंग की तारीख को बिगाड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान इस सरजमीन के स्वाभिमान का प्रतीक है. मैसूर के टाइगर टीपू सुल्तान के प्रशासन और वीरता को दरकिनार नहीं किया जा सकता.“ उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान पर यह इल्जाम है कि उन्होंने 80,000 लोगों को मार डाला और 40,000 लोगों का मजहब बदल दिया, लेकिन यह सब काल्पनिक है. यह तर्क किसी भी लिजाह से टिक नहीं पाएगा, जो लोग टीपू सुल्तान के बारे में नहीं जानते, वे उसके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं.“


कोई भी इतिहास नहीं बदल सकता
भाजपा एमएलसी एच. विश्वनाथ ने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप टीपू सुल्तान के बारे में किस पार्टी से बात करते हैं. भाजपा में होने के बावजूद मैं कहूंगा, टीपू एक गर्व करने लायक कन्नड़ हैं, वह मैसूर के बाघ हैं. उनकी शख्सियत सभी जातियों और मजहबों से ऊपर है. कोई भी इतिहास नहीं बदल सकता. चाहे कुछ भी कहा जा रहा हो, इतिहास नहीं बदलेगा.“
वहीं, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि टीपू सुल्तान एक देशभक्त, बहादुर स्वतंत्रता सेनानी, कुशल प्रशासक और एक सहिष्णु और एक आदर्श लोकप्रिय नेता थे. उन्होंने कहा, “मैं टीपू सुल्तान की कुरबानी, बहादुरी को याद करता हूं, जिन्होंने टीपू जयंती के मौके पर ब्रिटिश साम्राज्य को पूरे फख्र के साथ हरा दिया था.“


हिंदू संगठनों ने दी टीपू जयंती समारोह रोकने की चेतावनी
इससे पहले हिंदू संगठनों ने हुबली के ईदगाह मैदान पर टीपू जयंती समारोह रोकने की चेतावनी दी थी. श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कहा जब राज्य सरकार समारोह पर पाबंदी लगा चुकी है, तो नगर निगम इसकी इजाजत कैसे दे सकता है. उन्होंने इल्जाम लगाया कि इस कदम के पीछे सियासी मकसद हैं. प्रमोद मुथालिक ने कहा, ’’टीपू हिंदुओं और कन्नड़ भाषा के दुश्मन थे. उनकी तुलना स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों से नहीं की जा सकती.’’ उधर, पुलिस ने श्री राम सेना के कार्यकर्ताओं को उस वक्त हिरासत में ले लिया, जब उन्होंने हुबली में रानी चेन्नम्मा सर्कल के पास विरोध-प्रदर्शन करने की कोशिश की. 


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