Muslim Candidate in Karnataka Election: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 9 मुस्लिम उम्मीदवार चुने गए हैं. ये सभी विधायक कांग्रेस पार्टी से चुनकर आए हैं. इस विधानसभा में तकरीबन 13 फीसद मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट किया. यहां मुसलमानों के वोट अक्सर कांग्रेस या जेडीएस में बंट जाते हैं. कर्नाटक चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने मुसलमानों के 4 फीसद आरक्षण को दोबारा बहाल करने का वादा किया था. इससे पहले भाजपा सरकार ने इस कोटो को खत्म कर दिया था. 


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पिछले चुनावों में जीते मुस्लिम कैंडिडेट


कांग्रेस ने 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. 224 मेंबर वाली विधानसभा में साल 2018 में 7 मुस्लिम कैंडिडेट चुने गए थे. साल 2008 में 9 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. साल 2013 में यह संख्या बढ़कर 11 हो गई थी. इसमें दो जेडीएस के शामिल थे. साल 1979 में सबसे ज्यादा 16 मुस्लिम उम्मीदवार जीतकर कर्नाटक विधानसभा पहुंचे थे. इसके अलावा साल 1983 सबसे कम 2 मुस्लिम उम्मीदवार ही जीत सके थे. 


इस वजह से कांग्रेस को मिले वोट


कांग्रेस का कहना है कि बदरंग दल को बैन करना और मुसलिमों के 4 फीसद आरक्षण को दोबारा बहाल करने के वादे ने मुस्लिमों के वोट प्रसेंटेज को बढ़ा दिया. KPCC के कार्यकारी अध्यक्ष सलीम अहमद ने कहा कि "समुदाय भाजपा के डर में था, इसने रिजर्वेशन को वापस करने की मांग की, इसी वजह से समुदाय ने पार्टी को वोट दिया."


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हीं जीत सके दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार


जेडीएस ने 23 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया, लेकिन एक भी उम्मीदवार नहीं जीत सका. उवैसी की AIMIM ने दो उम्मीदवारों को टिकट दिया लेकिन पार्टी को सिर्फ 0.02 फीसद वोट मिले. इसके अलावा स्टूडेंट्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया लेकिन इनमें से एक भी नहीं जीत सका. 


भाजपा ने उछाला बजरंग बली का मु्द्दा


कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी चुनावी वादे में कहा था कि वह बजरंग दल पर बैन लगाएगी. इस मामले को भाजपा और पीएम मोदी ने भुनाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यह हिंदू भावनाओं के खिलाफ है. कांग्रेस नेता ने कहा कि "इसके बावजूद लोगों ने कुशासन, ध्रुवीकरण और विभाजन के खिलाफ वोट किया." 


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