Karnataka Hijab: कर्नाटक हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी को गई है. 10 दिनों तक हुई बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला महफूज़ रख लिया है. अब SC तय करेगा कि कर्नाटक में हिजाब पर पाबंदी लगाने का आदेश सही है या नहीं. हिजाब बैन मामले में 10 दिन चली सुनवाई के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने हिजाब तनाज़े पर सुनवाई पूरी करके फैसला रिज़र्व रखने का ऐलान कर दिया.16 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो रहे हैं इसलिए हिजाब मामले पर इससे पहले फैसला आने की उम्मीद की जा रही है.


'स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने से छात्राओं को रोकना ग़लत'


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बेंच ने इस मामले में कहा है कि अब भी जिनको लिखित दलीलें देनी हो,वो दे सकते हैं. कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी अर्ज़ियों पर मुस्लिम फरीक़ के 21 वकीलों ने छह दिन तक अपनी दलीलें पेश कीं. इसके बाद कर्नाटक हुकूमत और उडुपी के स्कूल के टीचर्स की तरफ से पेश हुए वकीलों को भी अपनी बात रखने के लिए दो दिन का मौका दिया गया. इस दौरान सीनियर वकील दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुजैफा अहमदी, देवदत्त कामत और संजय हेगडे ने जजों को इस बात का यक़ीन दिलाने की कोशिश की कि कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने से मुस्लिम तालिबात को रोकना ग़लत है.


PFI विवाद के लिए ज़िम्मेदार नहीं: दुष्यंत दवे


दुष्यंत दवे ने राज्य सरकार की तरफ से मामले में विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम लिए जाने पर ऐतराज़ जाहिर किया. दवे ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने बगैर किसी बुनियाद के PFI को इस तनाज़े के लिए जिम्मेदार बता दिया, जबकि मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है. बता दें कि, कर्नाटक में हिजाब पहनने पर तनाज़े की शुरुआत उडुपी जिले के सरकारी पीयू कालेज से हुई थी, जहां 6 छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षा में एंट्री नहीं करने दी गई. इसके बाद हिजाब मामले ने तूल पकड़ लिया और अब ये एक नेशनल ईशू बन गया है. 


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