केजरीवाल को लगा बड़ा झटका, दिल्ली HC ने जमानत देने से किया इनकार; लगा 75 हजार का जुर्माना
Arvind Kejriwal News: `हम, भारत के लोग` के नाम से दायर जनहित याचिका में अंतरिम राहत की मांग की गई, जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को काम के घंटों के दौरान अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने की इजाजत दी जाए.
Arvind Kejriwal News: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज यानी 22 अप्रैल को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ कोर्ट ने असाधारण अंतरिम जमानत देने वाली याचिका को खारिज कर दी है, जिसमें उन्हें उनके कार्यकाल या मामले की सुनवाई पूरी होने तक (जो भी पहले हो) जमानत देने की गुजारिश की गई थी.
याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना
हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जूर्माना लगाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को पूरी तरह से गलत बताया और ऐसी याचिका दायर करने के उनके अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया है. दरअसल, ये याचिका एक कानून की पढ़ाई कर रहे एक स्टूडेंट ने दायर की थी.
जस्टिस ने क्या कहा?
इस मामले की सुनावाई कर रहे जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा ने कहा, "किसी मुल्जिम को सिर्फ उच्च संवैधानिक पद पर रहने के लिए असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती है." कोर्ट में इस तथ्य को ध्यान में रखा गया कि सीएम केजरीवाल कोर्ट के आदेशों के अनुसार न्यायिक हिरासत में हैं और जनहित याचिकाकर्ता के पास उनकी तरफ से कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 'हम, भारत के लोग' के नाम से दायर जनहित याचिका में अंतरिम राहत की मांग की गई, जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को काम के घंटों के दौरान अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने की इजाजत दी जाए और न्यायिक हिरासत के दौरान उन्हें सरकारी कार्यालयों का दौरा करने और विभिन्न स्थानों का निरीक्षण करने की आजादी दी जाए.
इस याचिका में हिरासत में मौतों की घटनाओं और तिहाड़ जेल में कठोर अपराधियों की मौजूदगी का हवाला देते हुए हिरासत में रहते हुए सीएम केजरीवाल की सुरक्षा पर चिंता जताई गई. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एक लोक सेवक के रूप में, सीएम केजरीवाल को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा विशेषज्ञों और बढ़ी हुई सुरक्षा तक निरंतर पहुंच की आवश्यकता है, जिससे न्यायिक हिरासत में रहते हुए समझौता हो सकता है.