Siddique Kappan Out of Jail: केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को तकरीबन 2 साल 4 महीने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. उन्हें अदालत में श्योरिटी देने के बाद रिहा किया गया है. कप्पन को साल 2020 में यूपी के मथुरा से गिरफ्तार किया गया था. वह हाथरस की उस जगह जा रहे थे जहां दलित महिला का कथित रूप से बलात्कार किया गया था और उसकी मौत हो गई थी. कप्पन पर इल्जाम था कि वह हाथरस में लोगों को भड़काने के इरादे से जा रहे थे. कप्पन के साथ 3 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था.


जेल से रिहा होकर क्या बोले कप्पन?


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जेल से रिहा होने पर सिद्दीक कप्पन ने कहा कि "मैं सख्त कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा. 28 महीने लंबी लड़ाई के बाद, जमानत मिलने के बाद भी उन्होंने मुझे जेल में रखा. मुझे नहीं पता कि मेरे जेल में रहने से किसे फायदा हो रहा था. ये दो साल बहुत कठिन थे. लेकिन मैं कभी डरा नहीं था."


इस मामले में गिरफ्तार हुए कप्पन


साल 2020 में मथुरा में दलित लड़की का कथित बालात्कार और उसकी हत्या के बाद पूरे देश में विरोध होने लगा था. आरोप लगे थे कि लड़की के शाव को दफनाने में भी पुलिस ने बहुत जल्दबाजी की थी. सिद्दीक कप्पन इसी को कवर करने के लिए हाथरस जा रहे थे कि उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का कहना है कि उन्हें अशांति फैलान के विरोध में गिरफ्तार किया गया है. 


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पहले ही मिल चुकी जमानत


सिद्दीक कप्पन पर पुलिस ने देशद्रोह और आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत इल्जाम लगाए थे. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने उन पर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से पैसे लेने के इल्जाम लगाए और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीक कप्पन को जमानत दे दी थी. कोर्ट ने बताया था कि उनके खिलाफ कोई भी औपचारिक इल्जाम दायर नहीं हैं. मनी लॉन्ड्रींग मामले में सिद्दीक कप्पन को तीन महीने में जमानत मिल गई थी, लेकिन कई नौकरशाही चूकों की वजह से उनकी रिहाई रोक दी गई. 


मीडिया को कंट्रोल कर रही बीजेपी


विपक्षी पार्टियों और नागरिक समूहों का इल्जाम है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना पर योगी सरकार नकारात्मक रिपोर्टिंग से बचना चाहती थी. इसी सिलसिले में सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी की भी ओलोचना की गई. उनका इल्जाम है कि बीजेपी सरकार मीडिया को दबाने की कोशिश कर रही है. 


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