कन्नूरः केरल कांग्रेस के प्रमुख के. सुधाकरन ( Kerala Congress chief K Sudhakaran) ने बुधवार को यह कहकर विवादों को हवा दे दिया है कि दशकों पहले जब वह कांग्रेस में संगठन का हिस्सा थे, तब उन्होंने अपने लोगों को राष्ट्रीय स्यंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं को बचाने के लिए भेजा था. उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी संगठन को भी एक जम्हूरी मुल्क में काम करने का पूरा हक है. 
सुधाकरन ने कन्नूर जिले में एक प्रोग्राम में कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने यहां एडक्कड़, थोत्तादा और किज्हुन्ना जैसी जगहों पर आरएसएस की शाखाओं को खत्म करने की कोशिश की थी और उन्होंने वामपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें नेस्त नाबूद होने से बचाने के लिए लोगों को भेजा था. उन्होंने कहा, ’’उन जगहों पर ऐसे हालात बन गए थे, जिसमें शाखाएं नहीं चलाई जा सकती थीं. मैं वह शख्श था जिसने इन जगहों पर शाखाओं की हिफाजत करने के लिए लोगों को भेजा था.’’ 

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1969 में कांग्रेस से अलग होकर बनी थी कांग्रेस (संगठन) 
कांग्रेस पार्टी के 1969 में विभाजन के बाद कांग्रेस (संगठन) वजूद में आई थी. बाद में कांग्रेस (संगठन) का जनता पार्टी में विलय हो गया था. हालांकि, सुधाकरन ने यह भी साफ किया है कि उन्होंने ऐसा दक्षिणपंथी संगठन और उसकी शाखाओं के प्रति किसी संबद्धता की वजह से नहीं किया था, बल्कि इस भावना के साथ किया था कि एक जम्हूरी निजाम में यकीन रखने वाले शख्स के लिए तब चुप रहना ठीक नहीं है, जब ऐसी जगह लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म किया जा रहा हो, जहां मौलिक अधिकार कायम थे.

सुधाकरन ने कहा, यह कदम लोकतंत्र की हिफाजत के लिए था 
गौरतलब है कि केरल कांग्रेस प्रमुख सुधाकरन कन्नूर में मार्क्सवादी पार्टी के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए जाने जाते हैं, जिसे माकपा का गढ़ कहा जाता है. सुधाकरन ने यह भी कहा कि इजहार-ए-ख्यालात की आजादी और राजनीतिक स्वतंत्रता हर एक शख्स का जन्मसिद्ध अधिकार है, और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए. जब बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया, तो सुधाकरन ने बाद में यह कहते हुए सफाई पेश की कि उनका कदम लोकतंत्र की हिफाजत के लिए था, और सभी दलों को मुल्क में काम करने का हक है. उन्होंने कहा, ‘‘क्या आरएसएस को काम करने का हक नहीं है? क्या यह एक प्रतिबंधित संगठन है? मेरे बयान में क्या गलत है? मैं उस वक्त कांग्रेस पार्टी से दूर था, और कांग्रेस (संगठन) का हिस्सा था. नीतिगत तौर पर वह पार्टी उस वक्त भारतीय राजनीति में भाजपा के करीब थी.’’ सुधाकरन ने यह भी कहा कि उनका काम मार्क्सवादी पार्टी के अलोकतांत्रिक कार्यों का मुकाबला करने की कोशिश भर थी. 

माकपा ने कहा, कांग्रेस और आरएसएस मिलकर कर रहे हैं काम  
इस बीच, सत्तारूढ़ माकपा ने कहा कि सुधाकरन का बयान हैरतअंगेज नहीं है, और कांग्रेस और आरएसएस 1969 से राजनीतिक रूप से अस्थिर जिले में मिलकर काम कर रहे हैं. विवाद पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर पार्टी के प्रदेश सचिव एम. वी. गोविंदन ने सुधाकरन के रुख पर कहा कि उन्हें लगता है कि अगर यह उनका लोकतांत्रित अधिकार है तो उन्हें भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बयान को कांग्रेस को संजीदगी से लेना चाहिए और लोग इन सब चीजों को देख रहे हैं. गोविंदन ने कांग्रेस पर “नरम हिंदुत्व“ का रुख अपनाने का भी इल्जाम लगाया है.


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