त्रिशूरः जब धर्म को समाज में अफीम बना दिया गया हो और एक धर्म को मानने वाला इंसान दूसरे धर्म को जहर और इसे मानने वालों को शक की निगाह से देखने लगा हो, तो ऐसा वक्त में यह जरूरी हो जाता है कि एक दूसरे की मजहब पर उंगली उठाने के बजाए उसे पढ़ा और समझा जाए. इस मामले में केरल के त्रिशूर जिले का एक इस्लामी संस्थान (Islamic institution) बिल्कुल अल्हदा राह पर चलते हुए एक अलग मिसाल पेश कर रहा है. यहां लंबा सफेद लिबास पहने सिर पर साफा बांधे छात्र अपने हिंदू गुरुओं की निगरानी में संस्कृत के श्लोकों और मंत्रों (teaching Sanskrit in Madarsa) का उच्चारण कर रहे हैं. इस इदारे का एक हिंदू उस्ताद “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः” का उच्चारण करता है और उसके साथ-साथ छात्र भी इस श्लोक का पाठ करते हैं. छात्र जब श्लोकों का पाठ मुक्कम कर लेते हैं, तो उनके शिक्षक संस्कृत में उनसे 'उत्तमम’ कहकर उनकी हौसला अफजाई करते हैं. क्लास में उस्तादों और शार्गिदों के बीच संस्कृत में ही सारी बातचीत होती है.


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