कोलकाताः पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. पिछले कई सालों से, या कहें तो 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर बंगाल विधानसभा चुनावों के वक्त भाजपा ने कोलकाता में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी. देश भर में कोलकाता को लेकर एक आपराधिक छवि वाले शहर की छवि बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन अब केंद्र की एजेंसी ने ही उसे क्लीन चिट देते हुए देश का सबसे सुरक्षित शहर करार दिया है. 

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कोलकाता कई मामलों में अन्य शहरों से बेहतर 
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता में प्रति लाख आबादी पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज होने के साथ यह 2021 में मुल्क का सबसे सुरक्षित शहर बन गया है. आंकड़ों के मुताबिक, कोलकाता में संज्ञेय अपराधों की तादाद के मामले में स्कोर 103.4 प्रति एक लाख आबादी है, और यह शहर पुणे से काफी आगे है जहां यह आंकड़ा 256.8, वहीं तीसरे मुकाम पर हैदराबाद है. यहां यह आंकड़ा 259.9 है. सूची में शामिल दूसरे शहरों में कानपुर (336.5), बेंगलुरु (427.2) और मुंबई (428.4) हैं. 
एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में कोलकाता का स्कोर 129.5 था. रिपोर्ट के मुताबिक, इस शहर में भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामलों की दर 2021 में 92.6 थी, जो पिछले साल 109.9 हो गई है. 


कोलकाता में दुष्कर्म के मामले सबसे कम 
वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में पिछले वर्ष 19 महानगरों में से कोलकाता में दुष्कर्म के मामले सबसे कम दर्ज किए गए है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में कोलकाता में दुष्कर्म के मामले 11 थे वहीं दिल्ली में दुष्कर्म के मामले देश में सबसे ज्यादा 1,226 थे. जयपुर में 502 जबकि मुंबई में दुष्कर्म के 364 मामले दर्ज किए गए है. कोलकाता के साथ ही ऐसी जगह जहां से दुष्कर्म के कम मामले सामने आए उनमें तमिलनाडु के कोयंबटूर का नाम भी शामिल है, जहां दुष्कर्म के सिर्फ 12 मामले सामने आए, पटना में ऐसे मामलों की संख्या 30 रही.  रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के इंदौर में 165, बेंगलुरु में 117, हैदराबाद में 116 और नागपुर में दुष्कर्म के 115 मामले सामने आए हैं.  

दुष्कर्म के प्रयास का भी कोई मामला नहीं 
कोलकाता का नाम उन शहरों में भी शामिल है, जहां दुष्कर्म के प्रयास का भी कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है. यहां 2019 में दुष्कर्म के 14 वहीं 2020 में 11 मामले थे. राजस्थान में पिछले वर्ष दुष्कर्म के सबसे ज्यादा 6,337 मामले दर्ज किए गए, जबकि नगालैंड में सबसे कम चार मामले दर्ज हुए हैं. पश्चिम बंगाल में बलात्कार के 1,123 मामले दर्ज किए गए. कुल मिलाकर भारत में पिछले साल दुष्कर्म के 31,677 मामले दर्ज हुए हैं. 


एक्सपर्ट आंकड़ों पर उठा रहे हैं सवाल 
हालांकि विशेषज्ञों ने एनसीआरबी रिपोर्ट में कोलकाता में अपराध के मामले कम होने की बात पर आशंका जाहिर की है. जादवपुर विश्वविद्यालय में धर्म और समाज अध्ययन केंद्र की समन्वयक और समाजशास्त्र विभाग की पूर्व प्रमुख रूबी साईं ने कहा, ‘‘यह आंकड़ा थोड़ा अजीब है. राज्य सरकार की तरफ से तथ्यों को छिपाये जाने की बात साफ दिख रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोलकाता में ज्यादातर आपराधिक गतिविधियां दर्ज ही नहीं हो रहीं है, और मुझे विश्वास है कि अफसरों ने जो आंकड़े दिये, वे वास्तविक नहीं हैं.’’ प्रेसीडेंसी कॉलेज में समाजशास्त्र के एमेरिटस प्रोफेसर प्रशांत रे ने भी साईं की बात से सहमति जताई है.


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