Kolkata Rape Case: आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दिया है. पिछले महीने एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद प्रिंसिपल सीबीआई की रडार पर आ गए थे.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


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घोष पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि जांच के हस्तांतरण की मांग करने वाली याचिका में "आरोपी को सुनवाई का अधिकार नहीं है." सीजेआई ने कहा, "एक अभियुक्त के रूप में, आपके पास जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है."


हाई कोर्ट की टिप्पणी पर जताई आपत्ति


डॉ. घोष, जिन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि याचिकाकर्ता को जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कथित अनियमितताओं को हत्या की घटना से जोड़ने वाली हाई कोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति है. हालांकि, चीफ जस्टिस ने कहा कि यह मामला इनवेस्टिगेशन का है.


अधिवक्ता ने यह भी सुझाव दिया कि अस्पताल के एक पूर्व कर्मचारी के जरिए दायर याचिका, जिसकी वजह से हाई कोर्ट का आदेश आया, "प्रेरित" हो सकती है. अरोड़ा ने कहा,"जहां याचिकाएं किसी निश्चित तथ्यात्मक पृष्ठभूमि से प्रेरित हों, तो उन याचिकाओं पर अत्यंत सावधानी और ध्यान से विचार किया जाना चाहिए."


अख्तर अली ने लगाया था गंभीर इल्जाम


हाई कोर्ट के साने अपनी याचिका में आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने डॉ. घोष पर फइनेंशियल मिसमैनेजमेंट, लावारिस शवों और बायो मेडिकल वेस्ट की बिक्री और रिश्वत देने से इनकार करने वाले छात्रों को जानबूझकर फेल करने का आरोप लगाया था.


सीजेआई ने कहा,"हाई कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी है. इस स्तर पर, आपका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. अख्तर अली खुद जांच का विषय हो सकते हैं." सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा. शीर्ष अदालत ने कहा, "हमें जांच को बाधित नहीं करना चाहिए. हम सीबीआई से भी हमारे समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कह रहे हैं."