Kunwar Natwar Singh: कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार देर रात 95 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. उन्होंने कांग्रेस सरकार में कई अहम पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई है. लेकिन इस दौरान नटवर सिंह का सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी से रिश्ते कभी मधुर तो कभी तल्ख भी रहे.


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नटवर सिंह का नाम कांग्रेस पार्टी के आलाकमान के करीबियों में हमेशा शुमार रहा. राजनीति में आने से पहले वे गांधी परिवार बहुत करीब आ गए थे.यही वजह है कि उनकी सियासत में मजबूत एंट्री हुई. हालांकि, नौकरशाह से सियासत का सफर एक जैसा नहीं रहा. पार्टी में नहीं रहते हुए उन्होंने अपने कद के साथ कभी समझौता नहीं किया.


नटवर सिंह का सियासत में शानदार आगाज  
नटवर सिंह ने सिविल सेवा का सफर 1953 में शुरू किया. वे भारतीय फॉरेन सर्विस के लिए चुने गए. फॉरेन सर्विस के दौरान उन्होंने कई अहम पदों पर जिम्मेदारी संभाली,  लेकिन सियासत की तरफ रुचि और गांधी परिवार  से नजदीकी के चलते साल 1984 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया. जिसका उन्हें फायदा भी हुआ.  इंदिरा गांधी ने उन्हें राजस्थान के भरतपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा और सफर का आगाज शानदार जीत से हुआ. वे बतौर सांसद सदन में पहुंचे.


बताया जाता है कि नटवर सिंह ही वही शख्स थे, जिन्होंने राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को सियासत में शामिल होने के लिए इंस्पायर्ड किया. लेकिन इसके बाद पूर्व दिवंगत कांग्रेस नेता के पार्टी के साथ मधुर और तल्ख रिश्ते भी रहे. 


सोनिया गांधी से रिश्ते क्यों आई खटास? 
नटवर सिंह के रिश्ते इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की जैसी यूपीए-1 सरकार में नहीं रही. उनके रिश्ते सोनिया गांधी से बिगड़ गए. परिणामस्वरूप 2005 में कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. दरअसल, रिश्ते में खटास की सबसे बड़ी वजह 'तेल के खेल'रही.  यानी ईरान को तेल के बदले अनाज कांड को लेकर रिपोर्ट में नटवर सिंह का नाम भी शामिल था.


 जब नटवर के दावे से मचा था सियासी भूचाल 
नटवर सिंह ने आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' में गांधी परिवार को लेकर कई दावे भी किए. जिस पर काफी सियासी भूचाल मची. उन्होंने इस किताब में दावा किया था कि साल 2004 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए तो सोनिया गांधी ने राहुल के कारण से पीएम का पद नहीं संभाला. क्योंकि राहुल को डर था कि सोनिया के साथ भी इंदिरा और राजीव गांधी जैसा न हो. उस वक्त कई रिपोर्ट्स में दावे किए गए हैं कि नटवर सिंह की इस किताब के बाजार में आने से पहले सोनिया और प्रियंका गांधी उनके घर भी गई थीं और उनसे माफी भी मांगी थी.