LIVE: वादी में नए निज़ाम की दस्तक से हौसलों ने कैसे भरी उड़ान? देखिए `नया सवेरा`
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 खत्म होने के बाद वादी में किस तरह हालात बदल रहे हैं? नए निज़ाम की दस्तक से हौसलों ने किस तरह उड़ान भरी है?
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 खत्म होने के बाद वादी में किस तरह हालात बदल रहे हैं? नए निज़ाम की दस्तक से हौसलों ने किस तरह उड़ान भरी है? सुनिए जी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" #NayaSavera के मंच से उन हस्तियों की जुबानी, जिनके कंधों पर है सूबे की सियासत के मुस्तकबिल की कमान है.
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गुप्ता ने पूछा कि गिलानी साहब ने इस्तीफा क्यों दिया. सैप्रेटिस्ट लीडर, जिनके के इशारों पर ये सब चीजें कराई जाती थीं. आज वो सब चुप क्यों हैं? किसी ने उनको साइलेंट नहीं किया. जो गलत फहमी लोगों के दिलों में डाली गई थी. धारा 370 टूटने के बाद पहले से बेहतर सिस्टम चल रहा है. लोग खुशहाल हैं.
इस मौके पर एक सवाल के जवाब में कवेंदर गुप्ता ने बताया कि पिछले आंकड़ों के साथ उसको कंपोरिजन करें के हालात बदले हैं. एक आतंकी का जनाजा निकलता था तो लाखों का तीदाद में लोग पीछे चल देते थे. पत्थरबाजी, रोजमर्रा के बंद आज वो सारी चीजें कहां हैं. आज कश्मीर का नौजवान इस सारी व्यवस्था से तंग आ चुका है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों बीएसएफ की भर्ती हुई थी. जिसमें 30 हजार नौजवानों ने वहां जाकर अपना एग्जाम दिया. जिससे जाहिर होता है कि फिजा बदली है.
इस मौके पर पूर्व डीजीपी ने उस कदम की तारीफ की जिसमें आतंकियों को बाहर की जेलों में रखने की बात कही गई है. क्योंकि वो पहले किसी भी ऐसी कैदी के साथ बंद कर दिए जाते थो जो एक अलग जुर्म में कैद होता था और आतंकी उसको भी अपने जैसा बना लिया करता था.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 370 हटने के बाद आज सैपरेटिस्ट सपोर्ट खत्म हो गई है. पहले हड़ताल और बंद की कॉल दी जाती थीं, सैंकड़ों की तादाद में पत्थरबाज आते थे और जहां भी एनकाउंटर चल रहा होता था वहां वो पत्थरबाजी करते थे. ताकि आतंकियों को वहां से भगाया जा सके. वो सिस्टम आज खत्म हो गया. इसके अलावा हम किसी को पुलिस स्टेशन लाया करते थे तो वहां सियासी या लोकल प्रेशर आया करते था उनको छोड़ने के लिए.
उन्होंने आगे बताया कि बहुत हद तक पुलिस एक्शन करना पड़ा. करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया और पब्लिक सेफ्टी एक्ट में भी हजारों लोगों को डिटेन करना पड़ा. क्योंकि अपर ग्राउंड नेटवर्क को तोड़ना बहुत जरूरी था अगर हमें कामयाब होना था. आज जो आप नतीजा देख रहे हैं ये बुरहान वाली एनकाउंटर के बाद हुए एक्शन का ही नतीजा है.
उन्होंने आगे बताया कि तब हमने आतंकियों की एक लिस्ट जारी की कि इनको टार्गेट करना है तभी हालात बेहतर होंगे. ऑपरेशन ऑल आउट लॉन्च किया गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस, आर्मी और सीआरपीएफ को साथ लेकर हमने रास्ते खोलकर लोगों के बीच गए. उन्होंने आगे बताया कि 370 हटने के बाद से इस तरह के हालात नहीं आए और ना ही इस तरह का इको सिस्टम तैयार हुआ.
उन्होंने बताया कि बहुत सारे इलाके ऐसे था जो बिल्कुल कट ऑफ हो चुके थे. बहुत सारे जिलों और तहसीलों के रास्ते कट ऑफ हो गए थे. बहुत सारी सड़कों पर बिजली के पोल या पेड़ काटकर डाल दिए गए. जब वहां आर्मी या पुलिस जाती थी तो उनपर पथराव होता था. हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था कि इसको किस तरह नॉर्मल किया जाए. जिसके बाद हमने एक ऐसा एक्शन शुरू किया, आर्मी के और सीआरपीएफ के दस्तों को साथ लेकर खुद में एक-एक जिले और तहसीलों में गया और सभी रास्ते साफ किए. वहां बहुत पथराव हुआ जिसमें कई जख्मी भी हुए, बहुत सारी जगह पर एनकाउंटर भी हुए.
अपनी बड़ी बड़ी हुसूलियाबियों के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व डीजीपी एस. पी. वैद्य ने आतंकी बुरहान एनकाउंटर मामले बोलते हुए बताया कि एक इको सिस्टम ऐसा बनाया गया कश्मीर कि उसको एक पोस्टर ब्वॉय के तरह पेश किया गया. उन्होंने बताया कि इसमें सोशलम मीडिया का बहुत बड़ा रोल रहा है और जब उसकी एकनाउंटर में मौत हुई तो एक ऐसा माहौल बनाया गया कि कश्मीर में एकदम सारा सिस्टम कॉलेप्स करने लगा.
इस मौके पर प्रोफेसर बेचन लाल ने कहा कि हमने राज्य में इंडस्ट्री के लोगों से अपील की है कि आप ऐसे लोगों के साथ मीटिंग कराइए. हम उनकी जरूरत को समझेंगे और फिर उसके हिसाब से युवाओं को स्किल किया जाएगा. ये सच है कि स्किल युवाओं की यहां कमी हैं. अब नई एजुकेशन पॉलिसी 2020 पर इस पर ध्यान दिया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि कार्यक्रम के दौरान धर ने कहा कि हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, एग्रीकल्चर और दस्तगारी के लिए भी युवाओं को स्किल्ड किया जा रहा है. इंडस्ट्री की डिमांड के मुताबिक युवाओं को तैयार किया जाएगा. सरकार की कोशिश है कि युवा नौकरी पाने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें.
प्रोफैसर धर ने आगे बताया कि अब जम्मू कश्मीर एजुकेशनल हब बन रहा है. हमारे यहां आईआईटी आ गए, आईआईएम, मास कम्यूनिकेशन इंस्टीट्यूट आ गए हैं. साथ ही एलजी मनोज सिन्हा का जोर है कि युवाओं को स्किल्ड बनाया जाए. जिस दिशा में प्रशासन द्वारा विशेष तौर पर काम किया जा रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू-कश्मीर के VC ने प्रोफेसर मनोज कुमार धर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 11 यूनिवर्सिटीज हैं, जिनमें जम्मू यूनिवर्सिटी है, कश्मीर यूनिवर्सिटी है. एग्रीकल्चर की दो यूनिवर्सिटीज हैं और सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं. राष्ट्रीय स्तर की तुलना में जम्मू और कश्मीर यूनिवर्सिटी देश की टॉप यूनिवर्सिटी हैं. ऐसे में क्वालिटी एजुकेशन के मामले में केंद्र शासित प्रदेश किसी अन्य राज्य की तुलना में कमतर नहीं है.
निर्मल सिंह ने आगे कहा कि 1960 में यहां एक सेमिनार हुआ था, जिसमें कश्मीर की फ्रीडम मूवमेंट पर चर्चा हुई. उसमें महाराजा के खिलाफ लड़ाई को फ्रीडम मूवमेंट नाम दिया गया! वहीं कुछ लोगों का मानना था कि फ्रीडम मूवमेंट 1576 को शुरू हुआ, जब अकबर ने कश्मीर को अपने राज्य में मिलाया. कुछ लोग मानते हैं कि 1890 में महाराजा रणजीत सिंह ने जब कश्मीर को पंजाब के साथ मिलाया. वहीं कुछ कहते हैं कि जब महाराजा गुलाब सिंह ने 1846 में कश्मीर का गठन किया. मेरा मानना है कि उसका जो एजेंडा सेट हुआ, जो 5 अगस्त को हुआ, वो तालीम की कमी के कारण हुआ.
उन्होंने आगे कहा कि आपके प्रोग्राम की थीम है हमारी तालीम, हमारी तकदीर. यहां पिछले 72 सालों में जो हुआ, उसमें तालीम का बहुत बड़ा हाथ है. कश्मीर के एक लेखक हैं रहमान राही जी. उन्होंने एक सेमिनार के दौरान कहा था कि जब हम छोटे-छोटे थे, हमें नहीं पता था कि अभिनव गुप्त के बारे में पता नहीं था. हमे ललितादित्य, अवंति वर्मन कौन हैं? हमे उनके बारे में पता नहीं था.
प्रोग्राम में बोलते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अभूतपूर्व स्थिति है. जिसे डील करने के लिए केंद्र और संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को जो कार्रवाई की. उसके मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ इंतजाम करना जरूरी था. लेकिन जैसे-जैसे माहौल ठीक हो रहा है. वैसे ही चीजे सामान्य हो रही हैं. बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ है लेकिन जीवन की तुलना में यह नुकसान ज्यादा बड़ा नहीं है. सरकार ने स्थिति को देखते हुए और पिछले अनुभवों के आधार पर यह कदम उठाया. इसी वजह से यहां सब कुछ ठीक रहा और यहां कोई हिंसा नहीं हुई. धीरे-धीरे लोगों के हक की बात है, फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात है वो आहिस्ता-आहिस्ता सामान्य हो रही हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हम सभी हिंदुस्तानी भाइयों को यह कहना चाहती हूं कि हम मुस्लिम मैजोरिटी स्टेट होने के बावजूद दो नेशन थ्योरी को रिजेक्ट किया और भारत को अपनाया. इसलिए कोई हमें यह कहे कि नेशन लिस्ट नहीं थे, तो हम मानने के लिए तैयार नहीं थे. जितना कश्मीरी नेशनलिस्ट है, मुझे लगता है कि उतना मुंबई वाला भी नहीं होगा.
डीडीसी चुनावों में आजाद उम्मीदवार के तौर पर फतह हासिल करने वाली सफीना बेग ने एक सवाल के जवाब में बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की सोच हमेशा लिबरल रही है. 30 साल के कंफिक्ट के बावजूद हमेशा हमारी बच्चियां अलग-अलग शोबों में बहुत अच्छा किया है लेकिन पूरे देश की सियासत में बहुत कम हिस्सेदारी है. उन्होंने बताया कि लोकसभा में 10 फीसद और राज्यसभा में 11 फीसद मिलेंगे. उन्होंने बताया कि यह बहुत चैलेंजिंग प्रोफेशन है और कितने भी लिबरल लोग क्यों न हों, अपनी बच्चियों को सियासत में आने से रोकते हैं, क्योंकि यह बेहद मेल डोमिनेटिंग प्रोफेशन है. दूसरा कुछ लोग इसको फालतू सोचते हैं.
उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि हमारे सेक्रेट्रेट पर कोई तिरंगा नहीं था, हम यह नहीं कह सकते के 15 अगस्त या 26 जनवरी को तिरंगा नहीं लहराते थे लेकिन एक मिडिल क्लास परिवार से संबंध रखने वाली एक आम लड़की जिसका कोई इतिहास सियासत में नहीं है, वो सियासत में आई और दूसरी भाषा में बात कर रही है. तो उसको कूबूल करवाना उस समय कश्मीर में मुश्किल था. हम जम्मू आए और यहां के लोगों और मीडिया ने बहुत सराहा.
हमारा मकसद सिर्फ यही है कि हम जम्मू-कश्मीर में चल रही वेव के खिलाफ चलें जो पहले जम्मू-कश्मीर में चल रही थी. उस वक्त हम जम्मू-कश्मीर में अकेले तिरंगा लिए खड़े थे और हमारी पार्टी (सोशलिस्टिक डेमोक्रेटिक पार्टी) का भी यही नारा था हम हिंदुस्तान से हैं और हिंदुस्तान हम से है. हमारे लिए मुश्किलें बहुत थीं. हमने कांटों पर कदम रखा था लेकिन अल्लाह ने उन कांटों को गुलिस्तान में तबदील कर दिया. इस समय हर किसी के हाथ में तिरंगा ही तिरंगा है. इससे बढ़कर हमारे लिए खुशी का क्या मकाम हो सकता है कि रियासत के हर कोने में वही तिरंगा है जिस तिरंगे के साथ हम चले थे और हमें दूसरी निगाह से देखा जाता था.
हिंदुस्तानी आधी आबादी महिलाओं की है. प्रोग्राम में वक्फ काउंसिल की चेयरपर्सन दरखशां अदराबी ने कहा कि पूरी दुनिया में हम देखते हैं कि औरत आगे बढ़ रही है और पूरे हिंदुस्तान में हम यह भी देखते हैं कि औरतों की तालीम और उस तालीम के तहत लड़कियों की उड़ान आसामनों तक गई है. हम कहते हैं कि आसामान हमारे लिए आखिरी टार्गेट होता है. आज के दौर में महिलाएं किसी से भी पीछे नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि जब से भारतीय जनता पार्टी ने हुकूमत संभाली है, तब से हालात सुधर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कश्मीर में हमेसा ठंड के मौसम में बिजली को लेकर सबसे ज्यादा प्रोट्सेट होते थे लेकिन इस बार ठंडी के मौसम में बिजली को लेकर कोई प्रोटेस्ट नहीं हुआ. यह हकीकत में बड़ा बदलाव है.
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जावेद कुरैशी ने महबूबा मुफ्ती और तिरंगे से संबंधित एक सवाल के जवाब में बताया कि महबूबा मुफ्ती ने रियासत की सीएम रही थीं. हिंदुस्तान का कानून का उन्होंने हलफ उठाया था और वही तिरंगे के खिलाफ बोलती हैं कि मैं नहीं उठाउंगी. उस समय मैंने उसको सिखाने के लिए किया कि एक नहीं लाखों हैं जो हिंदुस्तान के जाने निसार है, तिरंगे की अहमियत सिखाई उनको. उन्होंने कहा कि 370 हटने से पहले हिंदुस्तानियों की आवाज दबी हुई थी. जब धारा 370 हटी तो यह अवाज खुलकर बाहर और लाखों लोग सड़कों पर निकलकर तिरंगे को लेकर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं.
डॉ. असलम खान ने नेचुरोपैथी और रूहानियत के बारे में बताते हुए कहा कि जहां पर रूहानियत होगी वहां आइडयोलॉजी और शांति होगी और जब शांति होगी वहां ब्लडप्रेशर खराब नहीं होगा, हमें हार्ट अटैक नहीं होगा इसके अलावा कई अन्य बीमिरियां नहीं होगी. रूहानियत मेडिकल साइंस का बहुत बड़ा हिस्सा लेकिन अफसोस है कि इसको MBBS या किसी और कोर्स में इसको पढ़ाया जाता है.
डॉ. असलम खान ने बताया कि कश्मीर में हम कश्मीर में नेचुरोपैथी अच्छे से डेवेलप कर सकते हैं. यहां पर हर तरह जड़ी बूटियां हैं और यहां का माहौलियात बहुत अच्छा है. यहां तक कि स्विटजरलैंड से भी ज्यादा खूबसूरत हैं. उन्होंने कहा कि यह मैडिकोटूरिज्म बन जाएगा. उन्होंने बताया कि LG साहब से उम्मीद है कि वो नेचुरोपैथी का बढ़ावा देंगे. उन्होंने कहा कि नेचुरोपैथी का सबसे बड़ा फायदा होता है कि यह किसी तरह का नुकसान नहीं करती.
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प्रोग्राम में फिल्म मेकर युवराज कुमार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि मैं यंग फिल्म मेकर्स को रिप्रेजेंट कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि नया कश्मीर फिल्म मेकर्स के लिए नई उम्मीद है. नया कश्मीर फिल्ममेकर्स के लिए पैराडाइज है. हम कश्मीर की खूबसूरती को पूरी दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं. यहां के लोग बहुत टैलेंटेड हैं.
आजादी की मांग करने वालों के बारे में जवाब देते हुए जावेद कुरैशी ने कहा कि आजादी की मांग करने वाले हकीकत में ये कुछ लोग हैं, ये रियासत की पूरी अवाम नहीं है, सिर्फ कुछ गिने चुने लोग हैं. जम्मू-कश्मीर में नौजवानों के डराया जाता था लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आएं और भाजपा ने जिम्मेदारी संभाली है, तब से हजारों लोग तिरंगा लेकर रैलियां करतें हैं. अब वो जमाना चला गया है जब फिरकापरस्त लोग भारत उन सपूतों को दबा रहे हैं. अब कश्मीर बदल गया है.
जावेद कुरैशी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के अलावा कोई और होता तो इतना बड़ा फैसला नहीं लिया जा सकता था. उन्होंने कहा कि सबसे बड़े फिरका परस्त लोग, जिनकी दुकानें 370 की आड़ में चल रही, अवाम बेखबर थी, किसी चीज के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता था. क्या हो रहा है हमारे जम्मू-कश्मीर में. बस एक उम्मीद जागी हुई अवाम में, जबसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं अहम फैसले लिए हैं. मैंने भी कुछ दिन पहले भाजपा का दामन थामा है. यह सोचकर कि हम जम्मू-कश्मीर के नौजवानों को आगे बढ़ाना चाहते हैं.
इस दौरान एक सवाल के जवाब में जावेद कुरैशी ने जवाब दिया कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की आड़ आम लोगों का कत्लेआम हुआ है. 370 हटने से पहले जनता ने गुमराही की जिंदगी में जी रही थी. उन्होंने कहा कि 370 हटाने के लिए कलेजा चाहिए था और ये काम हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कर दिखाया.
जी सलाम के खास प्रोग्राम पहले मरहले में बॉलीवुड एक्टर अयान खान, नेशनलिस्ट और भाजपा नेता जावेद कुरैशी, फिल्म मेकर युवराज कुमार और नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. असलम स्टेज पर मौजूद हैं.