Aatif Siddiqui Death: बीते रोज आतिफ सिद्दीकी नाम के एक नाबालिग छात्र की कथिक तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत गई थी.  वह कैमेस्ट्री की क्लास ले रहा था, इसी दौरान वह अचानक सीट से गिर गया. टीचर ने उसे उठाकर टेबल पर लिटाया और फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया. आतिफ की मौत के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक होना आम बात नहीं है, आखिर भारत में नौजवानों को इतने हार्ट अटैक क्यों हो रहे हैं, और माता-पिता को अपने बच्चों के हार्ट का ख्याल रखने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए ?


कार्डियोलॉजिस्ट का क्या है कहना?


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इस मसले को लेकर जी सलाम ने डॉक्टर्स से बातचीत की और उनसे इस तरह की मौतों को लेकर सवाल पूछा. इस मामले में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर राजू व्यास कहते हैं कि आरिफ के केस में मरने की सही वजह का पता नहीं है. फाइनल रिजल्ट ऑटोप्सी रिपोर्ट के बाद ही सामने आ पाएगा. लेकिन स्ट्रेस एक कारण है जिसकी वजह से यंगर जनरेशन में हार्ट से जुड़ी समस्या होने की संभावना है. इसके अलावा बचपन से अगर किसी को कोई हार्ट की बीमारी है तो भी कार्डियक अरेस्ट का खतरा रहता है.


कोर्टिसोल लेवल का हाई होना


उन्होंने आगे कहा कि जब हम बहुत ज्यादा स्ट्रेस में होते हैं, तो हमारे दिल तक खून पहुंचाने वाली आर्टरी में सूजन आ जाती है. जिसकी वजह से आगे चलकर यंगर जनरेशन में हार्ट अटैक होने की संभावना रहती है. जब भी स्ट्रेस होता है तो शरीर अधिक मात्रा मं कोर्टिसोल  हार्मोन बनाता है, यह एक तह का स्ट्रेस हार्मोन है. जिसकी वजह से नींद न आना और भूख न लगना जैसी समस्या पैदा हो जाती है.


साइकोलोजिस्ट सागर मुंडा ने क्या कहा?


साइकोलोजिस्ट सागर मुंडा कहते हैं कि आजकल बच्चों पर ज्यादा स्ट्रेस हो रहा है. जिसकी वजह से सुसाइड और एंग्जाइटी के मामले देखने को मिल रहे हैं, लेकिन यह कहना बहुत ज्यादा पूर्व अनुमानित हो जाएगा कि बच्चे को कॉलिज या स्कूल में स्ट्रेस की वजह से हार्ट अटैक आया है. अगर आपको पैदाईशी कोई हार्ट की बीमारी है और उस कंडीशन में आपका स्ट्रेस बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो आपको हार्ट के इश्यू होने के चांस बढ़ जाते हैं.


एजुकेशनिस्ट प्रवीण महरौत्रा ने कही ये बात


वहीं इस मसले को लेकर एजुकेशनिस्ट प्रवीण मेहरोत्रा का कहना है कि बच्चों पर स्ट्रेस ज्यादा है और कोविड के बाद पैनिक अटैक और स्ट्रेस के मामले और बढ़ गए हैं, लेकिन उससे हार्ट अटैक होना मुश्किल है. लेकिन हमें ऑटोप्सी रिपोर्ट का इंतेजार करना चाहिए, क्योंकि उसे बाद ही सब कुछ साफ हो पाएगा. 


वह आगे कहती हैं कि बच्चों में स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए माता-पिता का समझदार होना काफी जरूरी है. अपने बच्चों को बोलना कि जाओ और अपना बेस्ट दो, फिर चाहे जो हो देखा जाएगा. इसके साथ ही प्रवीण महरोत्रा ने कहा कि दूसरे सब्जेक्ट्स की तरह हमें अपने बच्चों को एंग्जाइटी कोपिंग तकनीक सिखानी चाहिए.


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