Juma से पहले मदरसा बोर्ड के चेयरमैन की Muslims से अपील; बताया कि क्या कहता है इस्लाम
नई दिल्ली: पिछले जुमा को हुए हिंसक प्रदर्शन पर मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद का बयान सामनने आया है. उन्होंने पिछले प्रदर्शन का विरोध किया है और इस जुमा को लेकर लोगों से अपील है.
नई दिल्ली: जुमें के दौरान नुपुर शर्मा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़के बवाल के बाद मुस्लिम संगठन और मुसलमानों से जुड़े बड़े नाम चिंतित नज़र आने लगे है. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने पूरे प्रदेश के मदरसों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यो व शिक्षकों से मदरसों की तालीम पर ध्यान देने की ख़ास अपील की है.
लोकतांत्रिक तरीके से हो विरोध
चेयरमैन ने कहा कि मदरसों के बच्चों की शिक्षा को अनुशासन के दायरे को ध्यान में रखकर दी जाए जिससे बच्चों का सही विकास हो सके. डॉ. जावेद ने पिछले शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद हुए अलोकतांत्रिक हरकतों की निंदा करते हुए कहा है कि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो इसके लिए हमें ख़ास ख्याल रखना होगा. इफ्तिखार जावेद ने कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद का मुखिया होने के नाते मैं सभी से अपील करता हूं कि किसी भी प्रकार का विरोध लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण तरीक़े से होना चाहिए.
इस्लाम में माफ कर देने का बड़ा मर्तबा
डॉ. जावेद ने कहा कि मदरसों के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी अमानवीय हरकत काफ़ी दिनों के लिए एक परेशानी का सबब बन सकती है. इस्लाम में किसी की भी ग़लती पर उसे माफ कर देने का बहुत बड़ा मर्तबा है और ग़लती करने वाले ने माफी मांग कर अपने बयान को वापस ले लिया है तो फ़िर अब विरोध का कोई औचित्य भी नहीं बनता.
नमाज के बाद बर्ताव कैसे इस पर सबकी नजर
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. जावेद ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि हम सब ने नमाज़ में क्या पढ़ा कोई नहीं पूछेगा लेकिन नमाज़ पढ़ने के बाद हमारा बर्ताव कैसा है यह सब देखेंगे. रोज़ा रखें कोई नहीं जानेगा लेकिन रोज़ा के वक्त हमारा व्यवहार कैसा है यह सब देखेंगे. हम हज करें कोई नहीं पूछेगा लेकिन हज के बाद हम कैसे रहते हैं कितना सच बोलते हैं, हम कैसी जिंदगी जी रहे हैं यह सब देखेंगे.
डॉ. जावेद ने प्रेस को दिए बयान के माध्यम से समस्त मुसलमान भाइयों से कहा है कि कोई हमारी मज़हबी किताबों को आकर नहीं पढ़ेगा कि अल्लाह और उसके रसूल ने क्या कहा और उन किताबों में क्या लिखा है? दूसरे मज़हब के लोग बस हमारे अखलाक, नीयत और क़िरदार को देखेंगे और समझ जाएंगे कि अल्लाह और उसके रसूल ने क्या कहा और उन मज़हबी किताबों को पढ़कर हमने क्या सीखा.
रिपोर्ट- अहमर हुसैन
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