नासिकः महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक सरकारी बोर्डिंग स्कूल (Govt Boarding School) की छात्रा ने अपने शिक्षक पर सनसनीखेज इल्जाम लगाया है. आदिवासी समुदाय से आने वाली छात्रा ने कहा कि उसके शिक्षक ने उस छात्रा के साथ स्कूल की कई दूसरी वैसी लड़कियों को वृक्षारोपण मुहिम (Plantation Campaign) में हिस्सा लेने से रोक दिया, जो उस वक्त माहवारी (Menstruation) से गुजर रही थी. शिक्षक ने उन्हें रोके जाने की वजह बताते हुए कहा कि उनके मासिक धर्म के दौरान पेड़ लगाने से पेड़ सड़ जाएंगे और वह लगेंगे नहीं.  इस स्कूल ने दाखिले के लिए मूत्र गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test) को भी अनिवार्य किया हुआ है, जिसका खर्च खुद छात्राओं को वहन करना पड़ता है; जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है. आदिवासी विकास विभाग ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं. उक्त स्कूल में कुल 500 छात्राएं पढ़ती हैं.

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प्रशासन ने छात्राओं के बयान किए दर्ज 
अपनी शिकायत में, विज्ञान संकाय की बारहवीं कक्षा की छात्रा ने कहा है कि शिक्षक ने उसे और अन्य छात्राओं से कहा था कि अगर माहवारी के दौरान लड़कियां पेड़ लगाएंगी तो वे जल जाएंगे. छात्रा त्र्यंबकेश्वर तालुका के देवगांव में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक आश्रम स्कूल में पढ़ाई करती है. आदिवासी विकास विभाग के एक  आला अफसर इस मामले शिकायत मिलने की तस्दीक की है. अतिरिक्त आयुक्त संदीप गोलैत ने कहा है कि छात्रा के सहपाठियों, शिक्षकों, अधीक्षक और हेड मास्टर सहित सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे और मामले की जांच की जाएगी. बुधवार को नासिक जिले की अतिरिक्त जिला अधिकारी और टीडीडी परियोजना अधिकारी वर्षा मीणा ने स्कूल में उन छात्राओं से मुलाकात कर उनका बयान दर्ज किया.  

शिकायत करने पर दी इंटरनल मार्क्स कम देने की धमकी 
शिक्षक द्वारा पेड़ लगाने से रोकने पर छात्राओं ने श्रमजीवी संगठन के नासिक जिला सचिव भगवान मधे से संपर्क किया था. मधे ने बताया कि छात्राएं पुरुष शिक्षक का विरोध नहीं कर सकी, क्योंकि वह उसके शिक्षक हैं, और उसे धमकी दी गई कि मूल्यांकन के 80 फीसदी अंक स्कूल के शिक्षकों के हाथ में होता हैं. मधे ने बताया कि उन्होंने 26 जुलाई को लड़की के साथ नासिक में आदिवासी विकास भवन जाकर संबंधित शिक्षक के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा. शिक्षक अक्सर शिकायतकर्ता और अन्य छात्राओं को ताना मारता था. 



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