Lok Sabha panel recommends expulsion of Mahua Moitra:  लोकसभा की आचार समिति ने ‘रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने’ के इल्जाम में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा को संसद के निचले सदन से सस्पेंड करने की सिफारिश की है. अपनी इस रिपोर्ट में एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों को काफी गंभीर मानते हुए उनके आचरण को आपत्तिजनक और अनैतिक करार दिया है. कमेटी ने अपनी गहन, कानूनी और संस्थागत जांच की सिफारिश करते हुए महुआ मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच पैसों के लेन-देन की भी गहन जांच करने की सिफारिश की है.
वहीं, मोइत्रा ने आचार समिति की इस सिफारिश को खारिज कर दिया है. इस मामले में आचार समिति की बैठक 26 अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद 2 नवंबर को मोइत्रा समिति के सामने हाजिर हुईं.


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क्या समिति की सिफारिश अंतिम फैसला है ? 
भारतीय जनता पार्टी के सांसद विनोद कुमार सोनकर की सदारत वाली समिति ने बैठक की जिसमें समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है. सूत्रों का कहना है कि 479 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में मोइत्रा को लोकसभा से सस्पेंड करने की सिफारिश की गई है. अब आचार समिति की रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में रखी जाएगी और इससे संबंधित प्रस्ताव पर मतदान किया जाएगा.


रिपोर्ट पर बंटी है समिति के सदस्यों की राय 
सोनकर ने कहा कि समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को स्वीकार करने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया है. रिपोर्ट का विरोध करने वाले विपक्षी सांसदों ने समिति की सिफारिश को ‘पूर्वाग्रह से युक्त’ और ‘गलत’ बताया है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस द्वारा निलंबित सांसद परनीत कौर ने रिपोर्ट के समर्थन में वोट दिया है. वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. अमरिंदर सिंह अब कांग्रेस छोड़ चुके हैं. 

समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने क्या कहा ?  
आचार समिति के पांच विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति नोट में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश पूरी तरह से सियासी वजहों से की गई है. इससे आने वाले वक्त में एक खतरनाक परिपाटी कायम होगी. समिति में शामिल एन उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथिलिंगम, बसपा के दानिश अली, जनता दल (यूनाइटेड) के गिरधारी यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी. नटराजन ने रिपोर्ट पर अपनी असहमति दी है.  


महुआ मोइत्रा पर क्या है आरोप ? 
गौरतलब है कि महुआ मोइत्रा के लिए परेशानी उस वक्त शुरू हुई जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उनके खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक शिकायत भेजी थी, जिसमें उन्होंने ये इल्जाम लगाया था कि महुआ अडाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर सदन में सवाल पूछती है और इस काम के बदले में उन्हें मोटी रकम मिली है.

समिति की सिफारिश के बाद महुआ मोइत्रा ने क्या कहा ? 
समिति की सिफारिश के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘‘भले ही वे मुझे लोकसभा से निष्कासित कर दें, मैं अगली लोकसभा में बड़े अंतर से जीतकर आऊंगी.’’ मोइत्रा ने कहा, ‘‘यह एक कंगारू अदालत का पहले से फिक्स मैच है जिसमें हैरानी की कोई बात नहीं है. लेकिन देश के लिए बड़ा संदेश यह है कि भारत के लिए यह संसदीय लोकतंत्र की मौत है.’’

क्या पहले कभी किसी संसद की सदस्यता ऐसे केस में रदद हुई है 
इस मामले में लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कहा, ’’यह शायद पहली बार है जब लोकसभा आचार समिति ने किसी सांसद को निष्कासित करने की सिफारिश की है. साल 2005 में ‘रिश्वत लेकर सवाल पूछने’ के एक अन्य मामले में 11 सांसदों को संसद से सस्पेंड कर दिया गया था, लेकिन उनके निष्कासन की सिफारिश राज्यसभा की आचार समिति और लोकसभा जांच समिति द्वारा की गई थी.


 


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