Islamic Knowledge: इस्लाम में मुलाजमत से ज्यादा खुद के कारोबार को तरजीह दी गई है. इस्लाम में हिदायत दी गई है कि हलाल तरीके से मेहनत करके पैसे कमाने चाहिए. इससे आपके कारोबार में बरकत रहती है, साथ ही आपकी आखिरत भी बनती है. अगर आप जायज मकसद के लिए हलाल तरीके से कारोबार करते हैं, तो यह सवाब का काम होता है. इस्लाम में हिदायत दी गई है कि कारोबार करते हुए बहुत ज्यादा कसमें न खाओ. कारोबार करते हुए अगर आप बार-बार कसमें खाते हैं, तो इससे आपके कारोबार में वक्ती तेजी आती है, मगर आखिरकार उसमें से बरकत खत्म हो जाती है.


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दर्दनाक होगा अजाब
एक जगह इरशाद है कि अगर आप बार-बार कसम खाकर कारोबार करते हैं और कारोबार में लोगों को धोखा देते हैं, तो कयामत के दिन अल्लाह आपसे बात नहीं करेगा, न तो आपकी तरफ देखेगा और न ही आपको पाक-साफ करके जन्नत में दाखिल करेगा, बल्कि आपको दर्दनाक आजाब देगा.


अल्लाह के लिए काम
इस्लाम में एक जगह जिक्र है कि अगर आप अपने बच्चों के पालन पोषण और अपने मां-बाप के लिए कारोबार करते हैं, तो आप अल्लाह के लिए काम कर रहे हैं.


खुला बदकार
इस्लाम में एक जगह जिक्र है कि कारोबार में हेराफेरी करने वाले कारोबारी मरने के बाद मैदाने-हश्र में खुले बदकार के रूप में लाए जाएंगे. यह भी बताया गया कि वह कारोबारी खुले बदकार के रूप में नहीं लाए जाएंगे, जिन्होंने अपने कारोबार में परहेजगारी की. लोगों को पूरा-पूरा हक दिया और सच बोला.


भूलचूक होगी माफ
कारोबार के सिलसिले में एक जगह इरशाद है कि अगर आप कराोबार करते हुए भूल चूक कर देते हैं. कभी किसी को कुछ ज्यादा दे दिया और कभी किसी को कम दे दिया, तो आप इसके लिए दान दिया करें. इससे कारोबार में आपकी भूलचूक माफ हो जाती है.


कारोबार पर हदीस
हजरत कैस अपबू गरजा (रजि.) कहते हैं कि नबी (स.) के वक्त में हम व्यापारी लोगों को 'समासिरा' कहा जाता था. एक दिन नबी (स.) हमारे पास से गुजरे तो आप (स.) ने हमें इससे बेहतर नाम दिया और कहा: ऐ व्यापारियो! माल बेचने में बहुत-सी फुजूल बातें कहने और झूठी कसम खाने की संभावना रहती है. लिहाजा तुम लोग सदका (दान) करो. ताकि इस भूल-चूक का कफ्फारा (प्रायश्चित) बन सके. (हदीस: अबू दाऊद)