मालदीव और भारत के रिश्तों में बढ़ रही खटास; एक और समझौता किया रद्द
Maldives India relations: राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के वक्त प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था और कहा था उनकी सरकार आने के बाद मालदीव की ज़मीन पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी नहीं रहेगी. मुइज़्जू के प्रतिद्वंदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहिम ने ‘इंडिया फर्स्ट’ का नारा दिया था. मुइज़्ज़ु का रुख पिछले राष्ट्रपति से पूरा उलट है, मोहम्मद मुइज़्ज़ु का रुझान भारत की तरफ न होके तुर्की और चीन की तरफ है.
Maldives India relations: मालदीव और भारत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं. लेकिन जबसे मालदीव में राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता संभाली है, वह एक के बाद एक भारत विरोधी कदम उठा रहे है. पहले मुइज्जू ने मालदीव में तैनात भारतीय सेनिकों को वापस बुलाने की मांग को माने जाने का दावा किया और अब मुइज्जू ने चार पहले भारत सरकार और मालदीव की पुरानी सरकार के बीच हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौते को खत्म कर दिया है.
क्या है हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझोता?
हाइड्रोग्राफिक सर्वे के लिए समझौता 8 जून 2019 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मालदीव दौरे के दौरान हुआ था. तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के बुलाने पर PM मोदी मालदीव दौरे पर गए थे. इस सर्वे समझौते के तहत मालदीव और भारत एक साथ मिलकर मालदीव इलाके के समुद्री क्षेत्र, लैगून, रीफ, सामुद्रिक लहरों और उसके लेवल की स्टडी करते. मालदीव की नई सरकार आने के बाद ये दूसरा द्विपक्षीय समझौता है जो आधिकारिक तौर पर रद्द हो गया है. इस के अलावा मालदीव के नए राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू दावा कर चुके हैं कि भारत अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुलाने के लिए राज़ी हो गया है.
चुनाव प्रचार में दिया था ‘इंडिया आउट’ का नारा
मोहम्मद मुइज़्ज़ु ने प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव की और से चुनाव लड़ा था. इस पार्टी पर चीन का काफी असर माना जाता है, राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के वक्त प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था और कहा था उनकी सरकार आने के बाद मालदीव की ज़मीन पर भारतीय सैनिकों की मौजूदगी नहीं रहेगी. मुइज़्जू के प्रतिद्वंदी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहिम ने ‘इंडिया फर्स्ट’ का नारा दिया था. मुइज़्ज़ु का रुख पिछले राष्ट्रपति से पूरा उलट है. मोहम्मद मुइज़्ज़ु का रुझान भारत की तरफ न होके तुर्की और चीन की तरफ है.