हैदराबाद: आज कल आपको बहुत सारे ऐसे लोग मिल जाएंगे जो शहरों की रौनक दुनिया को छोड़ कर गांवों की तरफ लौट रहे हैं और अपने परिवार के साथ ज़िंदगी के पल  गुज़ारना चाहते हैं और उन्हें एक अच्छा और स्वस्थ जिंदगी फराहम करना चाहते हैं. हम आज आपको ऐसे एक नौजवान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने आईटी क्षेत्र की नौकरी छोड़ कर खेती-किसानी से नाता जोड़ लिया और इसमें काम्याबी हासिल की.


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ल्लिकार्जुन रेड्डी को 'अभिनव किसान पुरस्कार' भी मिल चुका है
करीमनगर  (Karimnagar) के एक गांव पेद्दा कुरमापल्ली (Peddakurmapally) रहने वाले मल्लिकार्जुन रेड्डी ने 2014 में नौकरी छोड़ दी और गावं लोट कर खेती किसासी शुरु की. अब मल्लिकार्जुन रेड्डी 2014 से जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं और अपने परिवार को स्वस्थ खाना खिला रहे हैं.  मल्लिकार्जुन रेड्डी को खेती किसानी के लिए 'अभिनव किसान पुरस्कार' भी मिल चुका है.


शुरुआत में बेहरत नतीजे नहीं मिले तो तरीकों में बदलाव किया
मल्लिकार्जुन रेड्डी ने 'द बेटर इंडिया' को बाताया कि शुरुआत में उन्हें खेती किसानी के बेहतर नतीजे नहीं मिले. उसके के बाद उन्होंने अपनी खेती के तरीकों में बदलाव किया. जैसे धान के लिए उन्होंने अगल से पौथे तैयार करने बजाय, इसे सीधा खेतों में ही लगाया. खेतों में गोबर की खाद का इस्तेमाल किया. धान की कटाई के बाद, बचने वाली पराली को भी वह जलाते नहीं हैं, बल्कि वह उन्हें खेत में डीकंपोजर की मदद से गलाकर खाद बनाई जाती है, इससे ज़मीन की उर्वरकता में इज़ाफा होता है. सिंचाई के लिए मल्लिकार्जुन रेड्डी ने अपने खेत में 'ड्रिप इरिगेशन सिस्टम' लगाया हुआ है. तालाब और कुएं की मदद से बारिश का पानी इकट्ठा करते हैं और इस पानी का इस्तेमाल में बाद में सिंचाई में करते हैं. 


उगाते हैं कई किस्म के अनाज और सब्जियां 
मल्लिकार्जुन रेड्डी सात किस्मों की धान उगाते हैं. उसके अलावा वह सूरजमुखी, अदरक, मूंगफली और तिल की भी खेती करते हैं. उसके अलावा वह मौसमी सब्जियां जैसे प्याज, लहसुन, हरी मिर्च, धनिया आदि भी उगाते हैं. 


पहले 4 लाख कमाते थे, अब 16 लाख
मल्लिकार्जुन रेड्डी ने जब नौकरी छोड़ी थी, उस वक्त वह सालाना 4 लाख रुपए कमाते थे, लेकिन अब वह खेती-किसानी से सालाना 16 लाख रुपए कमाते हैं. उनके नौकरी छोड़ने का मकसद अपने परिवार को अच्छा और स्वस्थ खाना प्रदान  करना था, इसमें वह काम्याब भी हुए.


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