Manipur Violence: मणिपुर हिंसा से संबंधित एक सवाल पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि "अगर संकट को हल करने के लिए कहा गया तो अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार है और पूर्वोत्तर शांति के बिना समृद्ध नहीं हो सकता है.  यह भारत का आंतरिक मामला है. एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका को कोई रणनीतिक चिंता नहीं है. लेकिन मानवीय चिंताएं हैं."


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इस टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए "भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना" बहुत दुर्लभ है."


आगे एरिक गार्सेटी ने कहा कि "इस तरह की हिंसा में जब बच्चे या व्यक्ति मरते हैं तो आपको चिंता करने के लिए भारतीय होने की ज़रूरत नहीं है. हम जानते हैं कि शांति कई अच्छी चीजों के लिए एक मिसाल है. पूर्वोत्तर और पूर्व में बहुत प्रगति हुई है. यदि कहा जाए तो हम किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार हैं. हम जानते हैं कि यह एक भारतीय मामला है और हम शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. क्योंकि अगर शांति बनी रहती है तो हम अधिक सहयोग, अधिक परियोजनाएं और अधिक निवेश ला सकते हैं." 



मनीष तिवारी ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में पहले की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि अमेरिकी राजदूत सतर्क थे. मनीष तिवारी ने ट्वीट कर लिखा कि "हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई और बुद्धिमत्ता से उन पर विजय प्राप्त की है. यहां तक कि जब 1990 के दशक में रॉबिन राफेल जम्मू-कश्मीर पर बड़बोले थे. तब भी भारत में अमेरिकी राजदूत सतर्क थे."


कांग्रेस नेता ने कहा कि "मुझे संदेह है कि क्या नए @USAmbIndia @ericgarcetti को अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल और यातनापूर्ण इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में कथित या वास्तविक, नेक इरादे वाले या दुर्भावनापूर्ण हस्तक्षेप के बारे में हमारी संवेदनशीलता का ज्ञान है."


मणिपुर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई को जातीय हिंसा जारी है. हिंसा भड़कने के दो महीने बाद से राज्य में छिटपुट हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. महीनों तक चली हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई और 3,000 से अधिक लोग घायल हो गए है.