नई दिल्ली: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उदयपुर के मामले की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि "जिस तरह हम जगह-जगह मॉबलिंचिंग के मुख़ालिफ़ थे इसी तरह हम इस अमानवीय कृत्य को भी शांति व्यवस्था के लिए बहुत ख़तरनाक समझते हैं. यह देश के संविधान और हमारे धर्म के खिलाफ़ है. हम हर इंसान के लिए क़ानून को अपने हाथ में लेने के हमेशा खिलाफ रहे हैं. उदयपुर की घटना बहुत दुखद, ग़ैर इस्लामी और अमानवीय है. इसलिए इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए कम है."


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मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि "बद जुबान की तरफ से पैगम्बर के अपमान की वजह जो कुछ हुआ बुरा हुआ, लेकिन देश में शांति व्यवस्था और सांप्रदायिक सदभावना को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि इस पर सब्र किया जाए." उन्होंने आगे कहा कि "हम जिस तरह इस घटना का विरोध करते हैं उसी तरह हम इस बात के भी घोर विरोधी हैं कि किसी भी धार्मिक व्यक्ति की गरिमा का अपमान करके या किसी धर्म के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करके उसके मानने वालों की भावनाओं को आहत किया जाए."


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मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि "देश के शक्तिशाली व्यक्तियों की ख़ामोशी और अपमान करने वालों की गिरफ़्तारी न होने की वजह है कि सारी दुनिया में देश की छवि ख़राब हुई है. शांति व्यवस्था को आग लगाई है, इसलिए हम एक बार फिर सरकार से कहते हैं कि जिन लोगों ने पैगम्बर का अपमान किया है उनको फ़ौरन गिरफ़्तार किया जाना चाहिए और क़ानून के मुताबिक कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए ताकि भविष्य में फिर कोई ऐसा करने का साहस न कर सके, और पूरी दुनिया के मुसलमानों को संतुष्टि भी प्राप्त हो सके." उन्होंने अंत में कहा कि हम आशा करते हैं कि सरकार हमारी आपत्तियों पर ध्यान देगी और इस अति गंभीर मामले के परिणाम को समझते हुए दोषियों को क़ानून के अनुसार दण्ड दिलवा कर जेल भेजवाएगी ताकि पूरी दुनिया के लोग भारत के लोकतंत्र को सराहना की दृष्टि से सकें."


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